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पड़ोसन बनी दुल्हन-54

This story is part of the Padosan bani dulhan series

जेठजी से चुदवाते हुए भी माया अपने बदन को इस तरह मचलती रहती और इतनी कामुक कराहटें और सिसकारियाँ मारती रहतीं जिससे जेठजी को अहसास होता की उनके तगड़े लण्ड से हो रही तगड़ी चुदाई से माया कितना उन्माद भरा आनंद पा रही है। माया चुदवाते हुए हरदम जेठजी का हौसला बढ़ाती रहती थी।

माया ने जब मुझे यह बताया की मेरे जेठजी भी नए नए तरीके से माया को चोदने में काफी दिलचस्पी ले रहे थे तब मैं बड़ी खुश हुई की कहीं ना कहीं जेठजी के जीवन में जो कुछ एक नया आनंद, उत्तेजना और उन्माद माया के कारण आया था उसमें मेरा भी कुछ थोड़ासा योगदान था।

उस पार्टी के बाद माया को उसके पति (मेरे जेठजी) में कुछ और अजीबोगरीब परिवर्तन नजर आया। जेठजी कई बार माया से बात करते हुए पूछते रहते की क्या माया जेठजी से सतुष्ट है? कहीं ना कहीं मेरे जेठजी के मन में यह आश्चर्य जनक बात आयी की किसी भी कपल की चुदाई में कुछ ना कुछ नवीनता होनी चाहिए।

जेठजी ने इंटरनेट पर देखा था की कई कपल अपने पति अथवा पत्नी के अलावा पराये मर्द अथवा औरत से भी मैथुन माने चुदाई करते हैं और इस तरह वह एक दूसरे की सहमति से परपति या परपत्नी से चुदाई का आनंद लेते हैं।

उस पार्टी में भी माया को दूसरे मर्द के साथ डांस करते हुए देख जेठजी को इर्षा की बजाय उत्तेजना महसूस हुई थी। उसी तरह जब डांसर उन के साथ छेड़खानी कर रही थी तब जेठजी ने कुबूल किया की उनका लण्ड सख्त हो गया था। जेठजी भी दोस्त की पत्नी के साथ डांस करते हुए उत्तेजित हो रहे थे।

माया जेठजी की वासना की उस भड़की हुई आग में घी डालने का काम कर रही थी। मेरे जेठजी से चुदवाते हुए हमेशा माया जेठजी की चुदाई करने की क्षमता की तारीफ़ करते हुए नहीं थकती थी। वह यह एहसास दिलाती रहती थी की जेठजी चुदाई में आसानी से एक साथ दो औरतों को संतुष्ट करने की क्षमता रखते थे।

जेठजी के मन में कहीं ना कहीं चुदाई में नए नए परिक्षण करने की गुह्य इच्छा पनपने लगी थी। इस मायने में शायद धीरे धीरे मेरे जेठजी के सिद्धांतो की कठोरता क्षीण होती जा रही थी।

माया ने इसी को देखते हुए मौका भाँप लिया और मुझे माँ बनाने के लिए जेठजी से चुदवाने के बारे में सोचा। पर माया के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था की माया मुझे जेठजी से कैसे चुदवायेगी जिससे मेरे और जेठजी के बिच की जो सम्मान और औपचारिकता की दिवार है वह धँस ना जाये और मैं माँ भी बन सकूँ ।

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माया का स्वभाव था की वह जब कोई बात अपने मन में ठान लेती है तो फिर उसका कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ही लेती थी। माया पोर्न साइट पर जा कर चुदाई के अलग अलग तरीकों के बारे में रिसर्च करने लगी। वहाँ उसने देखा की कई बार पति पत्नी एक दूसरे की आँखों में पट्टी बाँध कर चुदाई करते थी।

माया ने एक वीडियो ऐसा देखा जिसमें एक पति अपनी पत्नी की आँखों पर पट्टी बाँध कर चुदाई करते हुए अपने किसी दोस्त को भी उसकी पत्नी को चोदने के लिए बुला लेता है और उसे मौक़ा देता है की वह उसकी पत्नी को चोदे। दोस्त पत्नी को अच्छी तरह से चोदकर चला जाता है और पत्नी को पता भी नहीं लगता की उसे किसी और मर्द ने चोदा था।

शायद ऐसे भी हो सकता हो की पत्नी को दूसरे मर्द की चोदने की अलग शैली से पता लग भी गया हो की उसे कोई दुसरा मर्द चोद रहा था; पर वह लज्जा या झिझक के मारे कुछ नहीं बोलती और चुपचाप दूसरे मर्द से चुदवा लेती है। इस तरह शर्मीली पत्नी को, जो वैसे किसी गैर मर्द से चुदवाने के लिए राजी नहीं होती उसे इस तरह धोखे में रख कर पति दूसरे मर्द से चुदवा लेता है।

माया ने उस वीडियो को देख कर अपना मन बना लिया की वह कैसे मुझे अपने पति (मेरे जेठजी) से चुदवायेगी।

उसी हफ्ते में एक रात जब मेरे जेठजी माया से चुदाई के मूड़ में थे तब माया ने मौक़ा देख कर पासा फेंका।

माया ने कहा, “आप कई बार मुझे कहते हैं ना, की हमें कुछ नए नए प्रयोग करने चाहिए? क्यों ना हम एक नया प्रयोग करें? मैंने एक साइट पर देखा था की एक पत्नी अपने पति की आँखों पर पट्टी बाँध कर अपनी चुदाई करवाती है और पति को ऐसा एहसास दिलाती है जैसे वह किसी और औरत की चुदाई कर रहा है।

मेरा मन कर रहा है की आप अपनी आँखों पर पट्टी बाँध कर मुझे चोदें और यह सोचें जैसे आप किसी और औरत को चोद रहे हैं?” माया की बात सुन कर जेठजी बहुत खुश हुए। वह माया की बात फ़ौरन मान गए।

उस माया ने मेरे जेठजी की आँखों पर सख्ती से पट्टी बाँध दी और फिर रात जैसे कोई दूसरी औरत मेरे जेठजी से पहली बार चुदवा रही हो उस तरह माया पलँग पर मचलती फुदकती और जेठजी की चुदाई से जैसे बहुत ज्यादा आतंकित हुई हो और उनके लण्ड से चुदवाने में उसे बड़ा ही कष्ट हो रहा हो ऐसे कराहती रही और मेरे जेठजी को चुदाई के आनंद के चरम पर ले जा कर चुदवाया आधी रात तक इतना बढ़िया तरीके से जेठजी का लण्ड चूसा, अपनी चूत जेठजी से चुसवाई और अलग अलग पोजीशन में इतना बढ़िया तरीके से चुदवाया की जेठजी माया पर न्यौंछावर हो गए।

जब माया ने मुझे यह प्लान बताया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। माया ने जेठजी से मेरी चुदाई का रास्ता अब साफ़ कर दिया था। पर कहीं ऐसा तो नहीं होगा की मेरी चुदाई करते हुए जेठजी अपनी आँखों की पट्टी निकाल दें और मुझे देखलें?

या कहीं ऐसा तो नहीं होगा की मेरी और माया की चुदाई करवाने का अंदाज अलग होने के कारण जेठजी को शक हो जाए की वह वाकई में ही किसी और औरत को चोद रहे थे, और आँखों से पट्टी निकाल दें और मुझे देख लें?

खैर मैं और माया कद और बदन में एक दूसरे से काफी मिलती जुलती थीं। हालांकि मेरी चूँचियाँ माया की चूँचियों से कुछ बड़ी थीं और माया के कूल्हे मेरे कूल्हों से कुछ बड़े थे। पर आँख पर पट्टी बंधे जोरदार चुदाई करते हुए शायद ही जेठजी इसे भाँप पाएं। अब यह जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा। और कोई रास्ता भी तो नहीं था।

जेठजी के ऐसे तगड़े लण्ड से चुदवाने की बात सोचते हुए ही मेरी चूत से पानी रिसने लगा। कैसे मैं मेरे जेठजी का ऐसा तगड़ा लण्ड ले पाउंगी? खैर, माया की काफी अर्से से चुदाई करते हुए मेरे जेठजी का लण्ड कुछ तो नरम जरूर हुआ होगा यह ही मेरे लिए एक सांत्वना का विषय था। पर फिर भी जेठजी से चुदवाने के बारे में सोचते ही मेरे पुरे बदन में ना जाने क्या होने लगता था।

मैंने मेरे पति संजयजी को जब इसके बारे में बताया तो उनकी ख़ुशी का भी ठिकाना ना रहा। उन्होंने मुझे सजधज कर तैयार हो कर जाने को कहा। मैंने कहा, “सजने की क्या जरुरत है? जेठजी तो मुझे देख नहीं पाएंगे?”

तो मेरे पति संजयजी ने कहा, “जब मैंने तुम्हें शादी के लिए पसंद किया था तो मेरे मन में एक दबी हुई कामना थी की काश तुम्हारी सुहाग रात मैं तुम्हें चोद कर नहीं, मेरे बड़े भैया से चुदवा कर करवा पाता। काश हमारी वजह से उनके जीवन में जो सूखापन आया था उसे तुम मेरे जेठजी से चुदवा कर उनका जीवन हराभरा कर सकती।

उस समय तो वह नहीं हो पाया। फिर माया आयी और माया ने वह काम किया जो मैं तुमसे करवाना चाहता था। पर अब जब मौक़ा आया ही है तो मैं चाहता हूँ की तुम जेठजी के साथ वह सुहाग रात अब मनाओ। इसी लिए मैं चाहता हूँ की तुम जब बड़े भैया के कमरे में जाओ तो सजधज कर जाओ। क्या तुम इतना मेरे लिए करोगी?”

जब मैने माया से मेरे पति के मन की वह बात कही तो माया ने कहा वह उसकी भी व्यवस्था कर देगी।

तय किये अनुसार मेरी क़त्ल की रात आ गयी। उस रात मुझे माया ने नयी नवेली दुल्हन सा सजाया। जब संजयजी ने मुझे श्रृंगार करने के बाद देखा तो बोले, “अंजू, तू इतनी सुन्दर लग रही है की मेरा मन करता है की मैं अभी ही तुझे नंगी कर चोद डालूं। पर क्या करूँ, आज तेरी बड़े भैया के साथ सुहाग रात है। अगर मैंने ऐसा कुछ किया तो तेरा श्रृंगार बिगड़ जाएगा।”

माया ने जेठजी को बता रखा था की वह चाहती थी की उस रात माया नयी नवेली दुल्हन जैसा श्रृंगार कर मेरे जेठजी से चुदवाये।

दूसरी तरफ माया भी रात के ठीक दस बजे, मेरी ही तरह उसी लाल रंग की साडी और बाकी का सारा श्रृंगार कर तैयार हो चुकी थी। मुझे माया ने कमरे के किवाड़ के बाहर खड़े रहने को कहा था।

जब सब अपने अपने कमरे में जा चुके थे तब माया मेरी ही तरह सजी हुई अपने बैडरूम में मेरे जेठजी के पास पहुंची।

जेठजी ने नयी नवेली दुल्हन के रूप में सजी हुई माया को देखा तो उसे बुला कर अपनी बाँहों में लिया। अक्सर माया जेठजी को खुश करने के लिए कुछ ना कुछ नए प्रयोग करती रहती थी।

उस रात माया ने कहा, “आज की रात आप मेरे साथ नहीं किसी दूसरी नयी नवेली दुल्हन के साथ अपनी सुहाग रात मनाएंगे। आज रात मैं कुछ नहीं बोलूंगी। अगर मैं कुछ बोली तो फिर आप को पता चल जाएगा की वह कोई दूसरी नहीं मैं ही हूँ तो सारा मजा किरकिरा हो जाएगा। मुझे चोदते हुए आप यही सोचिये की आप मुझे नहीं किसी और औरतको चोद रहे हैं।”

यह कह कर माया ने मेरे जेठजी से लिपट गयी, उनको होँठों पर गालों पर, हर जगह चूमते हुए कुछ भावुक हो गयी। फिर अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए माया ने जेठजी की आँखों पर सख्ती से एक काली पट्टी बाँधी।

माया ने फिर एक काली पट्टी ले कर जेठजी की आँखों पर सख्ती से बाँध दी।

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