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पड़ोसन बनी दुल्हन-4

This story is part of the Padosan bani dulhan series

एक दिन हम चारों मेरे घर में बैठ कर गपशप मार रहे थे। टीना कुछ नाश्ता लेने अचानक जब उठ खड़ी हुई तो उसे चक्कर आने लगे और लड़खड़ा कर वह टेबल का सहारा ले कर डाइनिंग कुर्सी पर लुढ़क कर बैठ गयी। उसका यह हाल देख हम सब सावधान हो गए तब टीना ने कहा की उसे काफी चक्कर आ रहे थे और गर्दन में सख्त दर्द हो रहा था।

टीना की बात सुन कर सेठी साहब फ़ौरन उठखड़े हुए और टीना जिस कुर्सी पर बैठी थी उसके पीछे जाकर उन्होंने टीना को आराम से बैठने को कहा। फिर अपने दोनों हाथों की हथेलियां टीना के दोनों कंधे पर रख कर अपनी उंगलियां और अंगूठे के दबाव से टीना के कंधे के कालर की हड्डियों की मांसपेशियों को दबा कर उनका मसाज करने लगे।

कुछ ही देर में जब वह फारिग हुए तब टीना ने अपनी गर्दन इधरउधर मोड़ कर देखि, फिर एकदम उठखडी हुई। थोड़ा चलने के बाद उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे और ख़ुशी भरी मुस्कान थी। टीना ने मेरी और मुड़कर मुझे कहा, “कमाल है! सारा दर्द एकदम गायब हो गया। ना कोई चक्कर और ना ही कोई दर्द! सेठी साहबके हाथों में तो जादू है!”

मैंने एक राहत की सांस ली, क्यूंकि पिछले कुछ दिनों से टीना को अक्सर ऐसा दर्द होता रहता था और कुछ देर तक, जब तक वह दर्द अपने आप ख़तम नहीं हो जाता, टीना बड़ी परेशान रहती थी।

टीना की बात सुनकर सेठी साहब ने कहा, “टीना, तुम्हें ब्लड सर्कुलेशन की कुछ दिक्कत है। अगर तुम यह मसाज एक महीने तक करवाती रहोगी और साथ में कुछ दवाइयां और कुछ आसान एक्सरसाइज करोगी तो सब ठीक हो जायेगा। इस मसाज में थोड़ी ताकत से मांसपेशियों को जोर से दबाने की जरुरत है। इस बिमारी को हलके में मत लेना। इसे अगर अभी नजर अंदाज किया तो आगे चल कर बड़ी प्रॉब्लम हो सकती है। मैं भाई साहब को यह मसाज कैसे करना वह सीखा दूंगा। वह रोज यह मसाज कर देंगे। बाकी एक्सरसाइज बगैरह मैं आपको समझा दूंगा।”

टीना ने मेरी बात सुन कर मेरी और देखा और बोली, “इनको कहाँ फुर्सत है? यह तो कल से चार दिन के लिए फिर से टूर पर जा रहे हैं।”

मैंने कहा, “सेठी साहब, वैसे भी आप करीब रोज घर तो आते ही हो, हमारा हालचाल पूछने। तो आप ही टीना को शाम को घर आ कर रोज मसाज कर दिया करना। अगर आपको तकलीफ ना हो तो। और ट्रीटमेंट बगैराह तो आप ही करना क्यूंकि मुझे दवाइयां और डॉक्टर से दूर रहना ही अच्छा लगता है।”

उस रात मैंने सोते ही मेरी बीबी की टाँग खींचनी शुरू की। मैंने कहा, “टीना, सेठी साहब तो वैसे ही तुम्हें छूने का कुछ ना कुछ बहाना ढूंढते रहते हैं। तुमने तो उन्हें बढ़िया मौक़ा दे दिया मसाज करने का। अब तो ना सिर्फ वह तुम्हारा कंधा बल्कि पुरे बदन का मसाज कर देंगे।“

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टीना ने टेढ़ी नजर से मेरी और देखा और बिना कुछ बोले रजाई में सर घुसा कर सो गयी। सोते सोते बोली, “तुमने क्यों मना कर दिया मसाज सिखने से? इसका मतलब तुम चाहते हो की सेठी साहब ही मेरा मसाज करे। ऊपर से मुझे दोष देते हो?”

मैंने मेरी बीबी को मनाते हुए कहा, “अरे तुम तो बुरा मान गयी। मैं तो वैसे ही मजाक कर रहा था। हम बात कर रहे थे ना की सेठी साहब काफी रोमांटिक लगते हैं। अगर वह रोमांटिक हैं और अब उन्हें मौक़ा मिला है तुम्हारा मसाज करने का तो अच्छी बात है ना? वैसे ही बेचारे इतने सालों के बाद सुषमाजी से बोर हो गये होंगे। तुम्हारे जैसी सेक्सी औरत अगर उनसे मसाज कराये तो वह खुश तो होंगे ही? इसमें कौनसी बुरी या गलत बात है?” मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।”

रजाई में टेढ़ी हो कर घुसी हुई टीना ने कहा, ” देखो तुम ना सेठी साहब के बारे में उलटिपुलटि बात मत किया करो। मैं मानती हूँ की सेठी साहब बातचीत करने में कुछ ज्यादा ही रोमांटिक लगते हैं, पर वह हमेशा मेरे साथ बड़ी इज्जत से पेश आये हैं। अगर वह मालिश भी करेंगे तो कभी मेरा फायदा नहीं उठाएंगे, इसका मुझे पूरा यकीन है।’

मैंने कहा, “देखो तुम्हारी बात गलत नहीं है। पर मर्द आखिर मर्द होता है। जब किसी औरत से उसका शारीरिक आकर्षण बहुत ज्यादा हो जाता है तब नाजुक परिस्थिति में समझदार से समझदार आदमी भी अपना आपा खो बैठता है। वह अच्छा बुरा सोच नहीं पाता है। उसमें भी जो मर्द काफी शशक्त और वीर्यवान होता है उसका लण्ड उसके दिमाग पर हावी हो जाता है..

सेठी साहब वाकई में समझदार हैं, पर उनका लण्ड उन पर भारी पड़ सकता है क्यूंकि उनका लण्ड वैसे भी बहुत लंबा, मोटा और तगड़ा है और आसानी से सतुष्ट नहीं होता। तुम ज्यादा इत्मीनान से मत रहना। मैं तुम्हें बता रहा हूँ की सेठी साहब बहुत ज्यादा सेक्सी हैं। जब वह उकसा जाते हैं तो उनका अपने आप पर नियत्रण रखना भी बड़ा ही कठिन हो जाता है।”

टीना मेरी बात सुन कर कुछ गुस्से में बिस्तर में बैठ गयी और बोली, “तुम क्या बकते रहते हो? तुमने सेठी साहब का लण्ड कब देखा? तुम ऐसे ही फ़ालतू की बकवास कर मेरा दिमाग खराब मत करो।”

मैंने मेरी बीबी को शान्ति से समझाते हुए कहा, “कुछ दिन पहले सुषमाजी उनके चाचाजी के यहां गयी थी ना, उस की अगली सुबह की बात है। मैं जब सुबह घूमने निकला तो सेठी साहब के ड्रॉइंगरूम में लाइट देख कर मैं उनके दरवाजे पर पहुंचा……” मैंने फिर मेरी पत्नी को उस सुबह की पूरी दास्तान सुनाई।

मेरी सारी बात सुन मेरी बीबी की नींद ही उड़ गयी। मैंने जब कहा की सेठी साहब का लण्ड वास्तव में सात से आठ इन्चा लंबा और करीब दो से तीन इंच मोटा था तो जैसे मेरी बीबी की सांसे थम सी गयीं। पता नहीं उसके मन में उस समय क्या विचार आ रहे होंगे?

वैसे तो कोई भी औरत किसी मर्द के ऐसे तगड़े लण्ड के बारे में सुन कर यही सोचने लगेगी की अगर ऐसा तगड़ा मर्द उसकी चुदाई करे तो क्या हाल होगा उसका? ख़ास तौर से जब मैंने मेरी पत्नी को कहा की जब सेठी साहब सुषमाजी को चोदते हैं तो सुषमाजी को नानी याद दिला देते हैं बिना थके या झड़े सुषमाजी को चोदते ही रहते हैं। सुषमाजी बेचारी त्राहिमाम त्राहिमाम हो जाती है।

टीना ने जब यह सूना तो टीना के चेहरे पर और ख़ास कर उसकी आखों में आतंक और आश्चर्य दोनों के ऐसे मिश्रित भाव मैंने देखे जो कोई भयानक हॉरर फिल्म में फिल्म की हीरोइन के चेहरे पर खुनी का सामना होने पर आते हैं।

बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्हालते हुए जैसे वह अपने आप को ही नसीहत दे रही हो वैसे बोली, “मुझे क्या लेनादेना? सेठी साहब जाने और सुषमाजी जाने।”

फिर कुछ रुक कर बोली, “पर एक बात तो है की जब चुदाई हो तो तगड़ी ही होनी चाहिए। तुम तो कई बार शुरू होने से पहले ही झड़ जाते हो। तो सारा मजा ही किरकिरा हो जाता है। खैर मुझे क्या? पर तुम यह सब मुझे क्यों सूना रहे हो?”

मैंने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, “बेचारी सुषमाजी।”

मेरी बात सुन कर टीना गुस्सा करती हुई अपना मुंह बना कर बोली, “अगर सुषमाजी पर इतना ही रहम आ रहा है तो तुम जाओ और आंसूं पोंछो बेचारी सुषमाजी के।”

मैंने धीरे से कहा, “सेठी साहब चाहते हैं की मैं सुषमाजी को कार चलाना सिखाऊं।”

टीना ने कुछ रूखी आवाज में कहा, “तो जाओ,सिखाओ सुषमाजी…… को कार चलाना। मुझे तो तुम कार चलाना सीखा नहीं पाए और चले सुषमाजी…… को कार सिखाने!” जब मेरी पत्नी अपना मुंह बना कर “सुषमाजी” बोली तो बीबी के अंदर से जलन की बू आ रही थी।

उस हालात में मैंने चुप रह कर सो जाना ही ठीक समझा।

शादी से पहले
मेरी पत्नी टीना शादी से पहले काफी दबंग सी लड़की थी। दबंग से मेरा मतलब है उसे लड़कों के साथ घूमने में कोई झिझक नहीं होती थी। पर यह भी सच है की कोई लड़का उसके साथ नाजायज छूट की भी उम्मीद नहीं रख सकता था। टीना ने दो तीन लड़कों की ऐसी पिटाई की थी की टीना के पीछे पुरे कॉलेज में “मर्दानी” के नाम से मशहूर थी।

कॉलेज में पढ़ाई में टीना हमेशा अव्वल या दूसरे नंबर पर आती थी। हालांकि वह पढ़ाकू या किताबी कीड़ा नहीं थी। वह खेलकूद में, डांस गाने में काफी रूचि रखती थी और ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा भी लेती थी। पुरे कॉलेज में टीना के बारे में काफी चर्चे होते रहते थे।

टीना के माँ बाप टीना को पूरा सपोर्ट करते थे। घर में भी जब टीना पढ़ती थी तो इतनी एकाग्रता से पढ़ती थी की उसे खाने पिने का भी ध्यान नहीं रहता था। टीना की एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई था। टीना घर में सब को आँख के तारे के समान प्यारी थी। एक जमाने में टीना के पुरखे बहुत बड़े जमींदार हुआ करते थे। पर अब वह सब ठाठ ख़तम हो चुका था।

कॉलेज के समय में टीना ने कॉलेज के ही एक शिक्षक के घर में एक्स्ट्रा क्लासेज ज्वाइन की थीं। शुरू में तो चार पांच लड़के लडकियां थीं पर बादमें आखिर में सिर्फ टीना ही रह गयी थी। पढ़ाई कराने वाले शिक्षक शादीशुदा थे पर उनकी बीबी और बच्चे गाँव में रहते थे और शिक्षक शहर में अकेले ही रहते थे और बच्चों को पढ़ाते थे।

टीना ने मुझे शादी के पहले ही साक्षात्कार में कबुल किया था की वह कुवारी नहीं थी। जाने अनजाने में उस शिक्षक के साथ तत्कालीन शारीरिक सम्बन्ध हुआ था। वह शिक्षक की टीना को पूरी एकाग्रता से पढ़ाने की लगन से इतनी प्रभावित हुई की एक कमजोर पल में दोनों युवा बदन एक दूसरे से सम्भोग करने से रोक नहीं पाए।

उनका वह अफेयर कुछ महीनों चला। एकदिन अचानक टीचर की बीबी गाँव से सर से मिलने आयी और उसे टीना और उसके पति के नाजुक संबंधों के बारे में पता लगा। टीचर की पत्नी ने अकेले में टीना से बात की और दो हाथ जोड़कर टीना से बिनती की की वह उसके पति से दूर चली जाए। टीना को इस बात का काफी गहरा सदमा पहुंचा और उसके बाद वह टीचर से कभी नहीं मिली।

यह सारी हकीकत टीना ने मुझे हमारी पहली मुलाक़ात में अकेले में ही साफ़ साफ़ बता दी, जब मैं मेरे माँ बाप के कहने के अनुसार लड़की देखने के लिए टीना के घर गया था। जब मैंने टीना के मुंह से यह सूना तो फ़ौरन मैंने टीना से कहा की यह टीना के लिए अयोग्यता नहीं पर सुयोग्यता का प्रतिक है।

मुझे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी की शादी के समय मेरी पत्नी का कौमार्यभंग हो चूका था। बल्कि अगर मेरी होने वाली बीबी शादी से पहले सेक्स कर चुकी है तो मैं मानता हूँ की वह वाकई में प्यार करना जानती है और शारीरिक सम्भोग की कदर कर सकती है।

मेरी बात सुनकर टीना पहले ही साक्षात्कार में बिना कुछ सोचे समझे मुझसे लिपट गयी और बोली, “आप भले ही मुझे पसंद करें या ना करें, मैंने आपको पसंदकर लिया है। अब तय आपको करना है की मैं आपको पसंद हूँ या नहीं।” मेरा तो टीना को नापसंद करने का कोई सवाल ही नहीं था। और इस तरह हमारी शादी हो गयी।

आज की तारीख में
मैं महसूस कर रहा था की टीना के ह्रदय में सेठी साहब के लिए बड़ी इज्जत थी और वह सेठी साहब से बड़ी ही प्रभावित थी। शायद टीना के मन में कहीं ना कहीं सेठी साहब के लिए कुछ नरम भाव जरूर पैदा हुआ था जिसे मैं देख रहा था। इसका ख़ास कारण था सेठी साहब टीना से हमेशा प्यार भरी बातें करते थे हालांकि जब भी मिलते थे तो सेठी साहब टीना को जफ्फी देते थे और उसे डार्लिंग, हनी कह कर बुलाते थे पर टीना उनसे जफ्फी के समय भी उचित दुरी बनाये रखती थी। सेठी साहब ने कभी टीना से नाजायज छूट नहीं ली। वह टीना को बहुत सम्मान की नजर से देखते थे।

टीना जानती थी की सेठी साहब उसको लाइन भी मार रहे थे। पर टीना यह भी जानती थी की उसकी सहमति के बिना सेठी साहब उसका कोई फायदा नहीं उठाएंगे। सेठी साहब और सुषमा के साथ हम कई बार रंगीन सा मजाक भी कर लेते थे।

सेठी साहब कई बार हमें पूछते, “आजकल रातको आप लोग ओवरटाइम तो नहीं कर रहे हो न?” कभी अगर हम दरवाजा खोल ने में देर करते तो कहते, “यार अंदर से ही कह देते की हम ज़रा चिपके हुए हैं तो हम बादमें आ जाते।”

तब टीना भी उनको कह ही देती, “सेठी साहब अब इतने साल हो गए शादी को। चिपकना चिपकाना तो दूर, अब तो साहब से बात करने में भी हफ़्तों लग जाते हैं। अब वह चिपकने का दौर ख़तम हो गया है।”

पढ़ते रखिये.. कहानी आगे जारी रहेगी!

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