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मोहल्ले के गुण्डे के बड़े लंड से चुदाई का मजा- 2

Xxx मजा सेक्स का मुझे दिया मेरे मोहल्ले के एक बड़े गुण्डे ने! वो मुझपर नजर रखता था, मुझे अच्छा लगने लगा था. मैंने उसका विशाल लंड अपनी कमचुदी चूत में कैसे लिया?

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मैं आपको अपनी चुदाई की कहानी में एक गैरमर्द से चुत की चुदाई किस तरह से हुई, वो लिख रही थी. आप मजा लीजिए.

कहानी के पहले भाग
मेरी अधूरी सेक्स लाइफ में आशा की किरण
में अब तक आपने पढ़ा था कि दारा नाम के उस मवाली ने मुझे अपनी मुहब्बत के जाल में फंसा लिया था और मेरे साथ सेक्स कर रहा था. उसने मुझे बिना चोदे ही एक बार झाड़ दिया था.

अब आगे Xxx मजा सेक्स का:

जब मैं झड़ गई तो मुझे लगा कि अब दारा मुझे छोड़ देगा पर नहीं, उसकी तो अभी शुरूआत भी नहीं हुई थी.

उसने अपनी गीली उंगलियां बाहर निकालीं और मेरे मुँह में डाल दीं.
मुझे ये थोड़ा गंदा लगा पर मैंने उसे रोका नहीं.
मुझे ये सब अच्छा लग रहा था.

मैंने खुद को उसके हवाले कर दिया था, वो मेरे साथ कुछ भी कर सकता था.
मैं उसकी उंगलियों को अच्छे से चूसने लगी.

फिर उसने मुझे अपने कंधे पर उठा लिया और अन्दर बेड पर ले जाकर पटक दिया.
वो झपट कर मेरे करीब आया और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने लगा.

उसका भारी भरकम शरीर मेरे नाज़ुक से शरीर को अपने नीचे रौंद रहा था.
उसने मेरी बांहों को मेरी पीठ के पीछे डाल कर जकड़ दिया और बेइंतिहा मुझे चूमने लगा.

मुझे थोड़ी तकलीफ़ भी हो रही थी, पर मज़ा भी आ रहा था.

वो मुझे चूमने के साथ-साथ मुझे चाट भी रहा था.
उसकी लंबी जीभ से मेरा पूरा चेहरा और गर्दन उसकी थूक से लथपथ हो गया था.

फिर वो उठा तो ऐसा लगा, जैसे मेरा पूरा शरीर हल्का हो गया हो.

वो उठा और उसने अपने आगे मेरी टांगें अपनी ओर की … और मेरी पैंटी एक झटके में निकाल फ़ैंकी.
अब मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी. मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था.

उसने मेरी दोनों टांगों को पकड़ा और उन्हें फैलाने लगा. उसने मेरी टांगें फैला दीं और मेरी कोमल तड़पती हुई चूत को देखने लगा.

वो मेरी चूत पर अपनी उंगली फेरने लगा.
मेरा बदन फिर से सिहरने लगा.

कुछ पल बाद वो उठा और मुझसे कहा कि अपनी टांगें फैला कर रखना और बंद नहीं करना.

वो कहीं चला गया.
मैं वैसे ही पड़ी रही और अपनी चूत पर उंगली फेरने लगी.

तभी वो वापस आया और उसके हाथ में उस्तरा था.
मुझे समझ नहीं आया कि वो क्या करना चाहता है.

वो मेरे पास आया और उसने उस्तरा मेरी चूत पर रख दिया.

मैं तो डर से घबरा ही गई कि ये क्या कर रहा है.
तभी उसने कहा- घबराओ मत, मैं सिर्फ बाल निकालूँगा.

मेरी चूत पर बहुत घने बाल थे.
दारा उन बालों को उस्तरे से निकाल रहा था.
ये भी मेरे लिए पहली बार था.

मैंने अकसर सुना था कि लड़कियां अपने बाल निकालती हैं, पर पैरों के.
मेरे शरीर पर चूत और सिर के अलावा और कहीं खास घने बाल नहीं थे इसलिए मुझे कभी इन सबकी जरूरत नहीं पड़ी.
पति ने कभी कुछ नहीं कहा था, तो मैं भी अपनी झांटों को लेकर उदासीन थी.

कुछ ही पल में उसने मेरी चूत पर से सारे बाल निकाल दिए.
मुझे थोड़ा अलग महसूस हो रहा था.

उसने मेरी चूत को साफ़ किया, तब मैंने अपनी चूत को छुआ.

मुझे काफ़ी अजीब महसूस हो रहा था. मुझे काफ़ी खुला-खुला महसूस हो रहा था. मुझे ये पसंद आया.

उसने अचानक मुझसे पूछा कि क्या मैंने कभी सेक्स किया है?
मैं ये सुन कर थोड़ी हैरान हुई कि ये किस तरह का सवाल है?

पर मैंने हां में जवाब दे दिया.
ये सुनकर वो कुछ अजीब तरह से हंसने लगा.
मुझे समझ नहीं आया कि वो क्यों मुस्कुरा रहा है.

उसने मेरी दोनों जांघों पर हाथ रखा और जोर देने लगा.
वो मेरी टांगों को ज्यादा से ज्यादा फैलाने की कोशिश कर रहा था.
मुझे इससे काफ़ी दर्द हो रहा था.

मैंने उसे ऐसा करने से मना किया पर वो मेरी नहीं सुन रहा था.
मेरी चूत फैलने लगी थी, ये काम मेरे दर्द को और बढ़ा रहा था.
मैं दर्द से कराह रही थी.

फिर उसने मेरी दोनों जांघों पर जोर देकर फैलाने के साथ-साथ मेरी उठी हुई चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
मुझे ये अजीब लगा और ये देखकर मैं हैरान रह गई कि उसने मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.

मेरे पति ने ऐसा कभी नहीं किया था और ना ही मैंने ऐसा कभी सोचा था.
पर उसके ऐसा करने से मेरी खिंच रही चूत की चमड़ी को थोड़ा राहत मिली तो, पर ज्यादा देर तक नहीं.

वो मेरी चूत को चाट रहा था, जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
अब उसने अपनी उंगली भी मेरी चूत के अन्दर डाल दी.

उसकी मोटी और सख्त उंगली के मेरे अन्दर जाने से मेरी हालत खराब हो रही थी.
मेरे मुँह से सिसकारियां और आह आह की आवाज़ें आ रही थीं.

वो एक साथ दो काम कर रहा था. मेरी चूत को चाट रहा था और अपनी उंगली भी अन्दर बाहर कर रहा था.

मेरा पूरा शरीर मचल रहा था और मैंने अपने दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ रखा था.
मेरा खुद पर काबू नहीं था.

उसने एक के बाद अपनी दूसरी उंगली भी अन्दर डाल दी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि आज से पहले तो मैंने कभी सेक्स किया ही नहीं है.

ऐसा मज़ा तो मुझे मेरे पति के चोदने से नहीं आया था, जितना अभी सिर्फ दारा की उंगलियों से आ रहा था.

धीरे-धीरे उसने अपनी तीसरी उंगली भी मेरी चूत में डाल दी, जिससे मेरी जान ही निकल गई.
मेरी हालत खस्ता हो गई और मैं और ज्यादा दर्द से कराहने लगी.

मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सेक्स में इतना दर्द भी हो सकता है.
मेरे पति के साथ सेक्स में मुझे कभी कुछ खास दर्द नहीं हुआ था जितना मुझे दारा के साथ हो रहा था.
हां पर मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था जो मेरे पति के मुकाबले कई गुणा ज्यादा था.

वो तेज़ी से अपनी उंगलियां मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

इससे मेरा खुद पर काबू नहीं रहा और मैं दर्द से चीखने लगी.
मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं फिर से झरने की तरह झड़ गई.

मेरे मुँह से जोर की कराहटें निकलीं और झड़ते ही मैं जोर-जोर से हांफने लगी.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने जबरदस्ती मेरे अन्दर से कुछ निकाल लिया हो.

मेरे लिए तो इतना ही हद से ज्यादा हो गया था.
पर दारा का तो अभी बाकी ही था.

मैंने कुछ सांसें ली.
फिर दारा उठा और उसने अब अपनी पैंट उतारी.

मैं ये देखकर हैरान रह गई.
उसका शरीर काफ़ी सख्त और ताकतवर दिख रहा था. उसकी बड़ी-बड़ी जांघें और मजबूत शरीर देख कर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी.

मेरा मन चाह रहा था कि वो मुझे चोदे और बस चोदता रहे और मेरे नाज़ुक जिस्म को मसल कर रख दे.

मुझे पहली बार ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं किसी मर्द के आगे अपना नंगा शरीर लिए पड़ी हूँ, जो सिर्फ उसके लिए है.
अपने पति के साथ भी मुझे ऐसा महसूस हुआ था, पर ये वाला उससे कई गुना ज्यादा अच्छा था.

मैं दारा और अपने पति की तुलना सपने में भी नहीं कर सकती.
दारा मेरे पति के मुकाबले काफ़ी ताकतवर और मजबूत जिस्म का मालिक था और वो काफ़ी लंबा-चौड़ा भी था.

सेक्स के मामले में तो दूर-दूर तक कोई मुकाबला नहीं दिख रहा था.
दारा का सुडौल शरीर और उस पर बाल उसकी मर्दानगी को और चार चांद लगा रहे थे.

मेरे जिस्म की आग उसे देख कर और भड़कने लगी. मैं उसके शरीर को निहारे ही जा रही थी.
मेरा दिमाग जैसे सुन हो गया था. मैं कुछ और सोच ही नहीं पा रही थी.

तभी उसने अपने शरीर पर बचा आखिरी कपड़ा अपना अंडरवियर भी निकाल दिया.

मैं जैसे अचानक सपने से उठी. मैं चौंक गई और मेरे मुँह से अपने आप हैरानी भरी आवाज़ निकल आई.

मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. मेरी ये हालत उसका लंड देख लेने की वजह से हुई थी.
उसका लंड काफ़ी बड़ा था.

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी मर्द का लंड इतना बड़ा भी हो सकता है.
इससे पहले मैंने तो बस अपने पति का लंड ही देखा था और उनके मुकाबले तो दारा का लंड बहुत ज्यादा बड़ा था.

मेरे मन में एक ही ख्याल आया कि कोई भी औरत इतना बड़ा लंड कैसे ले सकती है?

मेरी नज़रें उसके लंड पर से हट ही नहीं रही थीं.

वो अपना लंड लेकर मेरे मुँह के पास आया, उसका लंड मेरे होंठों को छू गया.

मैंने तुरंत ही मेरा मुँह फेर लिया.
वो चाहता था कि मैं उसके लंड को अपने मुँह में लूं.

मैं हैरान हो गई कि ये वो क्या करने बोल रहा है.
मैंने ना में सर हिला दिया.
उसने भी ज्यादा जबरदस्ती नहीं की.

फिर उसने मेरी टांगों को अपनी ओर खींचा और उन्हें फैला कर मेरी चूत के आगे खड़ा हो गया.
मैं अपनी टांगों के बीच उसे देख रही थी.

वो अपने लंड को सहला रहा था. उसका लंड और बड़ा और सख्त होता जा रहा था.

मैं वहां पड़े-पड़े उसके सख्त लंड को देख कर ही सिहर रही थी. मैं डर भी रही थी कि ना जाने कैसे मेरी चूत उसे झेल पाएगी.

पर फिर भी मैं ना तक नहीं कह रही थी, मैं उसे लेना भी चाहती थी.

अब उसका लंड तन चुका था.
उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा.

उसके लंड के छूते ही मेरा शरीर ज़ोर से सिहर गया.

वो धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा.
मुझे ये बहुत अच्छा लग रहा था.

फिर उसने अपनी उंगलियों को अचानक मेरे मुँह में डाल दिया और गले तक ले गया.

अचानक उसके ऐसा करने से मुझे घुटन सी हुई.

तभी उसने मेरी थूक से सनी उंगलियां बाहर निकाली और खुद भी हाथ में थूक कर उसने वो अपने लंड में लगा लिया.
उसने मेरी चूत को एक बार चाटा और फिर अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया.

अब उसने जोर देना शुरू किया.
उसके जोर देते ही मुझे दर्द होने लगा.
मुझे महसूस हो रहा था कि उसका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है.

मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैं रोने लगी.
मैं तड़पने लगी.

मैंने उसे लंड बाहर करने कहा पर उसने मेरी एक बात नहीं सुनी.
मैं उसे धक्का दे रही थी पर उस पर कोई असर नहीं था.

उसने मेरे दोनों हाथों को दबोच लिया. उसने मुझे ऐसे पकड़ा कि मैं ज़रा भी हिल नहीं पा रही थी.

फिर उसने एक जोरदार धक्का मारा और उसका लंड मेरी चूत में काफ़ी अन्दर चला गया.
मेरी दर्द से जोरदार चीख निकल गई. मेरी आंखों में आंसू भर गए.

वो कुछ पल रुका और मुझे सांस लेने का वक्त मिला.
अभी उसका आधा ही लंड मेरे अन्दर गया था और मेरी हालत इतने में ही खराब थी.

वो मेरे अन्दर वहां तक पहुंच गया था, जहां तक मेरे पति कभी नहीं पहुंच पाए थे और ना ही मैंने कभी सोचा था और अभी तो उसका और अन्दर जाना बाकी था.

वो अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था और अब मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा.
मेरे मुँह से कराहटें निकल रही थी. मुझे अच्छा लग रहा था. मैं अपना होश खो रही थी.

मुझे उसका सख्त लंड अपनी चूत में रगड़ खाता महसूस हो रहा था.

वो धीरे-धीरे अपना लंड और अन्दर धकेल रहा था.
उसने मेरे जिस्म पर काबू कर रखा था और मैं भी खुद को उसकी बांहों में खो चुकी थी.

वो मुझे चोदते हुए मुझे चूमे जा रहा था.

अचानक उसने फिर से एक जोरदार धक्का दिया और मैं फिर से चीख पड़ी.
मुझे महसूस हुआ जैसे उसका लंड मेरे पेट में घुस गया है, पर ऐसा नहीं था.

उसका लंड लगभग पूरा मेरी चूत के अन्दर चला गया था.
मुझे पहली बार अहसास हुआ कि मेरी चूत इतनी गहरी है. अब तक मैं दर्द को भूल चुकी थी और बस चुदने का मज़ा ले रही थी.

वो मुझे पूरे जोश में चोद रहा था.

उसने अपना लंड बाहर निकाला और एक झटके में मेरी चूत के अन्दर तक डाल दिया.
इस अचानक वार से मैं फिर से चीख पड़ी.

ऐसा उसने तीन-चार बार किया.

अब तक मेरी चूत को उसके लंड की आदत हो गई.

उसने मुझे पकड़ा और तेजी से मुझे चोदने लगा.
मेरी आवाज़ से पूरा कमरा गूंज रहा था.
शायद बाहर भी आने-जाने वालों को मेरी आवाज़ सुनाई दे रही होगी, पर मुझे उसकी चिंता नहीं थी.

मैं बस खुल कर उस पल का मज़ा लेना चाहती थी.
वो काफ़ी देर तक मुझे ऐसे ही चोदता रहा.

फिर वो उठा और उसने अपना लंड बाहर निकाला.
मैं बुरी तरह से थक चुकी थी. मुझे लगा अब हो चुका है, पर ऐसा नहीं था.

उसने मुझे उठा कर उल्टा किया और मुझे मेरे घुटनों पर बिठा दिया और आगे करके किसी घोड़ी की तरह बना दिया.

फिर उसने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
ये एक अलग ही अहसास था.

उसने मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया. उसका लंड पूरी ताकत से मेरी चूत को चीर रहा था.

वो पूरे जोश में था.
उसने मेरे बालों को पकड़ कर खींचा और मुझे जोरदार चोदने लगा.

जैसे उसका लंड मेरी चूत को अन्दर तक चोद रहा था, साथ ही उसकी सख्त जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं.
मेरी कराहटों के साथ थप-थप की आवाज़ भी गूंजने लगी.

वो मेरे शरीर से किसी खिलौने की तरह खेल रहा था.
वो थकने का नाम ही नहीं ले रहा था.

उसने एक हाथ से मेरे दोनों हाथों को मेरी पीठ के पीछे से पकड़ लिया और दूसरे से मेरे गले को दबोच कर चोदने लगा.
मेरा शरीर थक चुका था और मैं ज्यादा देर तक वैसे नहीं रह पाई और मैं चुदते हुए बिस्तर पर गिरने लगी.

पर वो मुझे चोदे ही जा रहा था.
मैं बिस्तर पर पड़ी थी और पीछे से मेरे ऊपर ही चोदते हुए आ चुका था.

मेरा कोमल शरीर बिस्तर और उसके बड़े से लंड के बीच में तकलीफ़ भरे मज़े में था.
मैं थक कर चूर-चूर हो चुकी थी पर मैं उससे बस चुदते रहना चाहती थी.

वो थप-थप करके एक बार में अपना लंड पूरा बाहर और अन्दर करने लगा.
उसके धक्कों से मेरी गांड बिस्तर में उछल रही थी.

ऐसे ही काफ़ी देर तक वो मुझे चोदता रहा और मेरे अन्दर ही वो झड़ गया.
उससे चुदते हुए ना जाने मैं कितनी बार झड़ गई थी.

मेरी चूत पूरी खुल चुकी थी.
ऐसा लग रहा था जैसे पूरी जिंदगी का पानी एक बार में निकल गया और जैसे सात जन्मों की चुदाई एक बार में हो गई हो.

चुदने के बाद मैं हिल भी नहीं पा रही थी और मैं हैरान थी कि वो अभी भी अपने पैरों पर खड़ा हो सकता था, जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

उस लम्बी चुदाई के बाद मैं उसकी बांहों में पड़ी थी.
हम एक दूसरे को चूम रहे थे.

मैं बुरी तरह थकी हुई थी पर घर तो जाना ही था तो मैं उठी.

मुझसे खड़ा तक नहीं हुआ जा रहा था पर किसी तरह मैं तैयार हुई.
दारा ने मेरी मदद की.

मैं बाहर निकली तो देखा, अंधेरा हो चुका है. मेरे तो होश उड़ गए.
मुझे लगा था कि मैं कुछ घंटे ही यहां थी, पर ये तो पूरा दिन निकल चुका था.

मैं सुबह से घर से निकली थी और अब लगभग रात हो गई.
मुझे जल्दी घर पहुंचना था इससे पहले कि मेरे पति आ जाते.

दारा ने मुझे छोड़ने के लिए बाईक शुरू की और वो खराब नहीं हुई थी.
मैं समझ गई थी.

उसने मुझे बस्ती के बाहर तक छोड़ दिया.

वो मुझे घर तक छोड़ना चाहता था पर मैं नहीं चाहती थी कि कोई हमें देखे, इसलिए मैंने मना कर दिया.
पर मेरा चलना भी मुश्किल था इसलिए उसने कहीं से रिक्शा मंगा दी जो मुझे घर तक छोड़ गया.

मेरी हालत खराब थी इसलिए मेरे से घर का कोई काम नहीं हुआ.
मेरे पति के आने पर मैंने उन्हें बोल दिया कि मेरी तबियत खराब है.

देर रात तक मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं बस दिन में जो हुआ, जो Xxx मजा सेक्स का मुझे मिला, उसके बारे में ही सोचे जा रही थी.

मेरी यादों में बस दारा ही आ रहा था.
उसका वो मजबूत बदन और वो बड़ा सा लंड जिसने मेरी चूत को खोल कर रख दिया था और पूरा बदन नींबू की तरह निचोड़ दिया था.

मुझे अपनी टांगों के बीच में कमी सी महसूस हो रही थी.
अब मुझे समझ आ गया था कि उसने क्यों पूछा था कि क्या मैंने कभी सेक्स किया है और मैंने तब हां कहा था.

पर सच ये था कि नहीं मैंने नहीं किया और अगर मैं दारा से ना मिलती, तो शायद सेक्स का असली मज़ा ना ले पाती और ना समझ पाती.

उसके बाद भी मैं दारा से चुदती रही.
धीरे-धीरे मुझे उसके लंड की आदत पर गई और मेरी चूत उसके लंड को अन्दर तक लेने लगी.

फिर उसने मुझे दिखाया कि वो क्या चीज़ है.
वो मुझे कई अलग-अगल तरीकों से चोदता और हर बार मेरी हालत बुरी कर देता.

दारा ने मुझे चूत के साथ गांड चोदने का भी मज़ा दिया.

उसने मुझे लंड चूसने की आदत भी लगा दी.
एक दिन उसने सिर्फ़ मेरे मुँह को ही चोदा था.

उससे मिलने के बाद लोग भी मुझे कहने लगे थे कि मेरी खूबसूरती बढ़ती जा रही है क्योंकि दारा से मिलने के बाद मेरे शरीर का उभार और बढ़ गया था और मेरे होंठ भी थोड़े मोटे हो गए थे.
उससे मिलने बाद तो दारा मेरे लिए मेरे पति से बढ़ कर हो गया था.

मेरे पति से ज्यादा मैं उसकी हो गई.

आज तक हमारा रिश्ता हमारे बीच ही है.
आज उसकी वजह से ही मेरे तीन प्यारे-प्यारे बच्चे हैं.
दुआ करती हूं कि आगे भी सब ठीक रहे.

बस यही थी मेरी दास्तान.

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