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Drishyam, ek chudai ki kahani-12

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

इस बात को कुछ दिन बीत गए। कालिया जब भी मौक़ा मिलता सिम्मी की आँख से आँख मिला कर उसे इशारा कर उसका ध्यान खींचने में लगा हुआ था। सिम्मी कुछ लाज की मारी कुछ डर कर कालिया की आँख से आँख मिलाने से कतराती थी।

कालिया को देख कर सिम्मी को कालिया से चुदाई वाला वाक्या आँखों के सामने दिखने लगता और वह अपनी नजरें निचीं कर वहाँ से हटकर चली जाती। पर वह जानती थी की कालिया की कामुक नजरें उसके पीछे भी उसके मटकते हुए नितम्बों को एकटक देखती होंगी। यह सोचकर सिम्मी का बदन रोमांच से भर जाता।

अर्जुन के चाचा और चाची को नजदीक के एक गॉंव में कोई रिश्तेदार की शादी में एक दिन के लिए जाना था। जब उन्होंने अर्जुन और सिम्मी को भी साथ चलने को कहा तब अर्जुन ने चाचाजी को कहा की वह और सिम्मी नहीं जाएंगे बल्कि उस दिन दूकान सम्हालेंगे। चाचाजी दूकान बंद रखना नहीं चाहते थे। चाचाजी अर्जुन की बात सुनकर खुश हुए और अर्जुन को दूकान की चाभी देकर दूसरे दिन सुबह शादी वाले गाँव के लिए निकल पड़े।

चाचाजी के जाते ही अर्जुन का दिल धड़क करने लगा। अब वह और दीदी घरमें अकेले ही थे। अर्जुन का शातिर प्लान लागू करने का वक्त आ गया था। सुबह अर्जुन जल्दी तैयार हुआ और दोपहर तक दूकान चलाता रहा। दोपहर को दूकान बंद कर के अर्जुन फ़ौरन बाहर निकला और अपनी साइकिल पर भागते हुए कालिया के घर जा कर उसने कालिया को खबर दी की सिम्मी घर में अकेली है।

समाचार मिलते ही कालिया तैयार हुआ और अर्जुन के प्लान के मुताबिक़ वह अर्जुन के घर पहुंचा। घर पहुँच कर जब उसने दरवाजा खटखटाया। सिम्मी खाना बना कर फारिग हुई ही थी। उसने सोचा अर्जुन होगा। सिम्मी ने जैसे दरवाजा खोली तो पाया की दरवाजे पर कालिया खड़ा था।

कालिया को देख कर सिम्मी की सिट्टीपिट्टी गुम होगयी। वह दो कदम पीछे हट कर बोली, “अरे तुम यहां कैसे?”

जैसे ही सिम्मी दो कदम पीछे हटी, कालिया घर में घुस गया। उसने हाथ से घर का दरवाजा सिर्फ बंद किया पर लॉक नहीं लगाया। आगे बढ़कर सिम्मी को अपनी बाँहों में लेते हुए कालिया ने कहा, “क्यों? तुम मेरा इंतजार नहीं कर रही थी?” ऐसा कह कर कालिया ने सिम्मी को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे चाचा और चाची के बैडरूम में ले जा कर पलंग पर लिटा दिया।

कालिया का भयावह रूप देख कर सिम्मी का दिल जोर से धड़कने लगा। सिम्मी को समझ नहीं आ रहा था की कालिया कैसे वहाँ पहुंच गया? उसे पता कैसे लगा की सिम्मी घरमें अकेली थी?

कालिया ने सिम्मी का मुंह अपने हाथ से कस कर ढक दिया जिससे वह ना चिल्लाये, और बोला, “मैं तुम्हें चोदने के लिए आया हूँ। अब बिलकुल चुप। ज़रा भी आवाज नहीं करना। समझी? और फिर तुमने मुझे वचन भी दिया है की तुम नहीं चिल्लाओगी।”

सिम्मी उस समय एक बखूबी पतली हलकी सी सेक्सी नाइटी पहने हुए थी। सिम्मी की फूली हुई छाती का उभार उसमें से बड़ा गजब का दिख रहा था।

ऐसे लग रहा था जैसे दो बड़े पर्वत सिम्मी की छाती में जड़ दिए गए हों। सिम्मी की पतली कमर के निचे से उसके नितम्बों का घुमाव सिम्मी की नाइटी में से अजीब सा रोमांच पैदा करने वाला दिख रहा था। सिम्मी की दो टाँगों के बिच में सिकड़ी हुई नाइटी जैसे सिम्मी की चूत की झाँखी करा रही थी।

सिम्मी अचानक इस तरह कालिया को घर में देख कर घबरा गयी। उसकी आँखें चौंकती हुईं कालिया के काले डरावने चेहरे को देख रही थी। उसने अपना सर हिलाया यह जताने के लिए की वह चिल्लायेगी नहीं।

फिर भी कालिया ने उसे पूछा, “चिल्लायेगी तो नहीं?”

सिम्मी ने वही डरावनी आँखों से मुंडी हिलाते हुए इशारा किया की वह नहीं चिल्लायेगी। यह देख कर कालिया ने धीरे धीरे उसके हाथों की पकड़ ढीली की। जैसे कालिया की पकड़ कुछ ढीली हुई की सिम्मी के मुंह से हलकी सी चीख निकल गयी। कालिया ने चौंक कर गुस्से में कस कर एक चांटा सिम्मी के गाल पर मारा। कालिया के तगड़े हाथ का चांटा गाल पर पड़ते ही सिम्मी लड़खड़ा गयी और उसके गाल लाल हो उठे।

पर इस बार सिम्मी को कालिया के चांटे से दर्द हुआ उससे कहीं ज्यादा एक रोंगेट खड़े होने वाला अनुभव हुआ। उसे लगा की शायद यह एक मौक़ा था जो वह सखियों से सूना करती थी। शायद सिम्मी को भी एहसास हुआ की वह कहीं ना कहीं दिल से कालिया से दुबारा चुदवाना चाहती थी

सिम्मी चाहती थी कालिया उसे खूब रगड़ रगड़ कर चोदे और उस अनुभव को वह जिंदगी भर याद रखेगी। सिम्मी ने दोनों हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए कालिया से कहा, “कालिया, मुझे मत मारो। मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी।

कालिया ने सिम्मी की नाइटी को उतारते हुए उसके लाल गाल को प्यार से सहलाते हुए कहा, “देखो पिछली बार हम पहेली बार चुदाई कर रहे थे। मैं भी घबड़ाया हुआ था और तुम्हारे लिए भी वह पहले बार था। मैं जानता हूँ तुम्हें पिछली बार बहुत दिक्क्त हुई। जब लड़कियों का सील पहली बार टूटता है तो दिक्कत होती है। पर अब अगर तुम साथ दोगी तो मैं तुम्हें बहुत प्यार से बहुत देर तक चोद कर वह सुख दूंगा की तुम सामने चलकर चुदवाने के लिए बार बार मेरे पास आती रहोगी। अब तुम लड़की से औरत बन गयी हो। अब जिंदगी के मजे लेने का समय आ गया है। तो मजे लो।”

सिम्मी यह सब कहाँ सुन रही थी? उसका ध्यान तो कालिया की टाँगों के बिच में घंट की तरह लटकता हुआ उसके लण्ड की तरफ था जो कालिया के पाजामे में से तना हुआ एक बड़ा सा तम्बू बन कर खड़ा था। सिम्मी ने कुछ भी ना बोलते हुए अपने हाथ लम्बे किये और कालिया की टाँगों के बिच खड़े हुए कालिया के लण्ड को उसके पाजामे के ऊपर से ही पकड़ा और हलके से सहलाने लगी।

सिम्मी का यह परिवर्तन कालिया को अच्छा लगा। कालिया ने अपना पाजामे का नाडा खोल दिया। अपनी निक्कर निकाल फेंक कालिया ने कालिया नाग के जैसे अपने लण्ड को सिम्मी के सामने प्रस्तुत किया। सिम्मी अब शर्म की हदें पार कर जातियानन्द पाने के लिए बेबस थी। उसे कालिया का लण्ड प्यारा लगने लगा था।

सिम्मी ने अपने दोनों हाँथों की हथेलिमें उसे लेकर अपनी नजरें उठाकर कालिया की और देखा। शायद उसके होँठों पर हलकी मुस्कान की झलक आयी और फिर धीरे से अपनी आँखें मूंद कर कालिया के लण्ड को धीरे धीरे सहलाती हुई लण्ड के अग्रभाग को अपनी जीभ से चाटने लगी।

अर्जुन अपने प्लान के मुताबिक़ जैसे ही कालिया सिम्मी को घर में ले गया, घर का दरवाजा खोल कर घर में दाखिल हुआ और अपने निश्चित स्थान पर पहुंच कर कालिया से दीदी के चुदाई का नजारा देखने के लिए बेबस सा रोशनदान से अंदर हो रही गतिविधि देखने लगा। आज उसकी मन की इच्छा पूरी होने वाली थी। इस इच्छा को पूरी करने के लिए ही उसने यह शातिर प्लान बनाया था।

अर्जुन के दिमाग में उस समय अजीब से धमाके हो रहे थे। कालिया ने उसे पूछा था की क्या वह भी दीदी को चोदना चाहता है? पर अर्जुन को चोदने का नहीं, चुदाई देखने का एक अजीब सा चस्का कहो या नशा कहो लग गया था।

अर्जुन की जिंदगी का यह पहला बड़ा दाव था जो उसने अपनी चुदाई देखने की चाहत को पूरा करने के लिए खेला था। उसे क्या पता था की उसकी अपनी महिलाओं की चुदाई देखने की यह बेचैनी, बेक़रारी या यूँ कहिये की एक तरह का पागलपन आगे चल कर क्या क्या गुल खिलाएंगे।

कालिया सिम्मी के आत्मसमर्पण से काफी खुश था। शायद कालिया सिम्मी को चोद कर उच्च समाजसे उसे झेलनी पड़ रही ज़िल्लत और छोटेपन का बदला लेना चाहता था। अपने आप को वह यह साबित करना चाहता था की भले ही दूसरे पहलुओं से वह समाज के उस स्तर से मुकाबला ना कर पाए, पर उसी समाज की एक लड़की या औरत को बेरहमी से चोद कर कालिया अपने आपको कहीं ना कहीं एक ऊंचा ओहदा देना चाहता था।

पर कालिया को क्या पता की इतिहास गवाह है की जहां तक चुदाई का सवाल है, सामाजिक स्तर हकीकत में कोई मायने नहीं रखता। यह तो सिर्फ समाज का ढकोसलापन है की बाहर के दिखावे में ऊँचे घर की लडकियां निचे घर के मर्दों से दूर रहती हैं।

सिम्मी बड़े प्यार से कालिया के लण्ड को चाट और चूस रही थी और कालिया इस पल को बखूबी एन्जॉय कर रहा था। कालिया सिम्मी का सर पकड़ कर अपने लण्ड को सिम्मी के मुंह में धकेलने लगा। सिम्मी कालिया का पूरा लण्ड अपने मुंह में तो लेने से रही।

पर कालिया ने सिम्मी के मुंह में अपने लण्ड से चोदना शुरू किया। लण्ड के गले के अंदर चले जाने से कई बार सिम्मी की आँखें चकरा जातीं थीं और वह बुरी तरह से खांसने लगती थी। पर इस बार सिम्मी ने ना कोई शिकायत की ना कोई विरोध किया।

सिम्मी पलंग पर घुटनों के बल बैठी हुई अपनी पेंटी और ब्रा में फर्श पर खड़े कालिया के मोटे और लम्बे लण्ड को चाटने और चूसने में लगी हुई थी तब कालिया ने सिम्मी की ब्रा की पट्टी खोल दी। बिना कोई अवरोध किये सिम्मी ने अपने हाथ हिला कर ब्रा को निकाल दिया। सिम्मी के दो पके हुए फल के समान उन्नत उरोज कालिया के सामने हाज़िर हुए। सिम्मी को मुंह को चोदते हुए कालिया अपने दोनों हाथोँ से सिम्मी के स्तनों को मसलने और दबाने लगा।

अर्जुन ने पहली बार अपनी इतनी खूबसूरत बहन को नंगी अपनी चूँचियों को कालिया से बेरहमी से मसलवाते हुए देखा तो उसके होश उड़ गए थे। हालांकि अर्जुन ने दीदी के नंगे स्तनों को देखा था पर कालिया से मसलवाते हुए दीदी के उरोज नंगे इतने आकर्षक और भरे हुए और उत्तेजक होंगे उसने सोचा भी नहीं था। वह जो दृश्य देखने के लिए वह बेताब था वह अब उसे देखने को मिल रहा था। और यह तो शुरुआत थी। उसे भरोसा था की उसे आगे काफी कुछ देखने को मिलेगा।

सिम्मी कालिया का लण्ड चूस कर थकी हुई दिख रही थी। कालिया ने तब अपना लण्ड सिम्मी के मुंह से निकाला और सिम्मी को कहा “मेरी जान, अब अपनी चूत के दर्शन भी करा दो।”

सिम्मी ने बिना कुछ बोले अपनी टाँगों को जोड़ कर झुक कर दोनों हाथोँ से अपनी पेंटी निकाल दी और नंगी पलंग पर लेट कर कालिया के उसके ऊपर चढ़ने का इंतजार करने लगी। पर कालिया ने झुक कर अपना सर सिम्मी की टाँगें चौड़ी कर उसमें डाल दिया।

कालिया का सर अपनी जाँघों के बिच में महसूस कर सिम्मी के बदन में एक तेज सिहरन दौड़ पड़ी। कालिया दोनों हाथोँ से सिम्मी की नंगी जांघें पकड़ कर अपनी उँगलियों से सिम्मी की चूत की पंखुड़ियों को फैला कर अपनी जीभ से उस के बिच की सुराख को कुरेदने लगा।

सिम्मी यह बर्दाश्त कर ना पायी और उत्तेजना के मारे पलंग पर बल खाते हुए कराहने लगी। सिम्मी की कामुक कराहटें सुनकर कालिया का जोश और भी बढ़ गया।

सिम्मी की चूत की छोटी सी सुराख में कालिया बारबार अपनीं जीभ डाल कर सिम्मी के दाने को चाटने लगा। रोशनदान से अर्जुन सीढ़ी पर बैठे यह सारा नजारा भलीभांति देख रहा था।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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