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Drishyam, ek chudai ki kahani-13

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

कुछ देर बाद कालिया ने पलंग पर लेटी हुई सिम्मी की चूत में अपनी दो उंगलियां डालीं और उन्हें सिम्मी की चूत में से अंदर बाहर कर उसे उँगलियों से चोदने लगा।

कालिया उँगलियों को इतनी फुर्ती से अंदर बाहर करने लगा की मारे कामुकता के सिम्मी की हालत खराब होने लगी। सिम्मी से यह बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। सिम्मी की चूत में से पानी बह रहा था जो सिम्मी की कामुक हालात बयान कर रहा था।

सिम्मी मारे उन्माद के कालिया का हाथ पकड़ कर उसे “कालिया बस करो अब, मुझसे रहा नहीं जा रहा। जल्दी अपना लण्ड डालो अंदर। जल्दी करो प्लीज। तुम मुझे चोदना चाहते थे ना? तो अब चोदो मुझे।”

कालिया ने यह सुनकर सिम्मी की दोनों चूँचियाँ दोनों हाथों में पकड़ीं और उन्हें जोर जोर से मसलते हुए बोलने लगा, “साली, मुझे अपने पास फटकने नहीं दे रही थी। जैसे ही मेरा लण्ड छुआ तो कैसी लाइन पर आ गयी? अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूँ। पहले तो मैंने तुझे अपना माल निकालने के लिए चोदा था। पर इस बार मैं तुझे बड़े प्यार से देर तक चोदुँगा। अब तू मेरे से चुदे बगैर रह नहीं पाएगी। और फिर आज तेरे घर में भी कोई नहीं है। तो आज तो मैं तुझे बड़े आराम से चोदुँगा।“

कालिया ने सिम्मी की दोनों टाँगों के बिच में से अपना हाथ हटा कर सिम्मी को पलंग पर सीधी कर फिर उसकी दोनों टाँगों को चौड़ा कर अपना लण्ड सिम्मी की चूत के ऊपर रखा। सिम्मी ने जैसे ही कालिया के लण्ड को अपनी चूत से छूते हुए पाया, तो उसे अपने हाथोँ की उँगलियों में पकड़ा और उनसे प्यार से सहलाने लगी और अपनी चूत पर हलके से रगड़ने लगी।

कुछ देर बाद जब सिम्मी को तसल्ली हुई की कालिया का लण्ड काफी चिकना हो चुका है और उसकी चूत में जाने से उसे उतना ज्यादा दर्द नहीं होगा तब सिम्मी ने कालिया को उसका लण्ड को अपनी चूत में घुसाने के लिए इशारा किया।

कालिया भी सिम्मी को तैयार होने के इंतजार में ही था। जैसे ही सिम्मी ने कालिया के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत में धीरे से दबाया की कालिया समझ गया की सिम्मी चुदवाने के लिए तैयार थी।

कालिया ने धीरे से अपना लण्ड सिम्मी की चूत में घुसेड़ ने के लिए एक धक्का मारा। इस बार सिम्मी मानसिक रूप से पिछली बार से ज्यादा तैयार थी। उसका कौमार्य पटल पहले ही फट चुका था। अब सिम्मी को चुदाई का भरपूर मजा लेना था।

जब चुदाई होना ही है तो फिर मजा क्यों नहीं लेना? जैसे ही सिम्मी की चूत में कालिया का लण्ड घुसा तो अनायास ही सिम्मी की चूत में एक अजीब सी सिहरन फ़ैल गयी। सिम्मी की चूत के स्नायुओं में हलचल सी मच गयी। अनजाने में ही सिम्मी की चूत के मसल सिकुड़ने और फूलने लगे। कालिया को अपने लण्ड के इर्दगिर्द भी सिम्मी की चूतमें हो रही फड़कन महसूस हुई।

कालिया धीरे धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करता हुआ सिम्मी को चोदने लगा। कालिया का लण्ड सिम्मी के स्त्री रस से और अपने पूर्व श्राव से काफी चिकना हो चुका था। इस बार उसे लण्ड को चूत में घुसाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।

सिम्मी को भी इस बार पहले जितना दर्द महसूस नहीं हुआ। जैसे ही कालिया ने एक धक्का मारकर अपना लण्ड पूरा अंदर घुसेड़ा तब फिर भी सिम्मी की चीख निकल गयी। उसे काफी दर्द तो महसूस हुआ पर अब सिम्मी उस दर्द में भी एक अजीब सा रोमांच और काफी आनंद महसूस कर रही थी।

उधर अर्जुन सीढ़ी पर बैठा हुआ सारा नजारा देख रहा था। अर्जुन का लण्ड उसकी पतलून में फुफकार रहा था। अर्जुन ने हाथ डाल कर अपना लण्ड बाहर निकाला और अपने हाथ से उसे सहलाने और हिलाने लगा। अर्जुन का लण्ड भी अच्छा खासा लंबा और मोटा हो चुका था।

कालिया धीरे धीरे अपनी चोदने की फुर्ती बढाए जा रहा था और उसके साथ साथ अब अपना पेंडू उठाकर सिम्मी भी उसका साथ देने लग गयी थी। सिम्मी की चूत में हो रही फड़फड़ाहट उसकी उत्तेजना की चुगली कर रही थी। कालिया को भी सिम्मी की चूत में हो रही फड़फड़ाहट ज्यादा उत्तेजित कर रही थी जिसके कारण कालिया के लण्ड और फूल रहा था। इस तरह लण्ड और चूत में जैसे जुगलबंदी शुरू हो गयी थी।

कालिया कूद कूद कर सिम्मी की चूत में अपना लण्ड पेले जा रहा था। सिम्मी भी बेझिझक कालिया की चुदाई में सक्रीय भागिदार हो रही थी। उसकी सारी होशियारी और सयानापन चुदाई की आंधी में हवा हो चुका था।

बार बार जब कालिया का लण्ड सिम्मी की चूत की गहराई में जोर से टक्कर मारता था तब अनायास ही सिम्मी के मुंह से सिसकारी निकल जाती थी। साथ ही साथ में कालिया की जांघें सिम्मी की जाँघों से टकरा कर बड़ी ही कामुक “फट फट” आवाज कर रहीं थीं।

सिम्मी की सिसकारियों में दर्द नहीं उत्तेजना और उन्माद होता था। कभी कालिया के धक्के के बाद सिम्मी आँखें खोल कर कालिया के बड़े तगड़े बदन को देखती तो कभी कालिया का लंबा लण्ड अपनी चूत के अंदर बाहर जाते हुए देखती।

इसी तरह इधर उधर देखते हुए उसकी निगाहें वहाँ गयीं जहां अर्जुन सीढ़ी में दुबक कर बैठा हुआ सिम्मी की चुदाई देख रहा था। अर्जुन को देख कर सिम्मी की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। उसने कालिया को हिलाते हुए कहा, “अरे देखो तो, वहाँ शायद अर्जुन बैठा हुआ हमें देख रहा है।”

“शायद? नहीं, वह अर्जुन ही है।” कालिया ने कहा।

“तेरा भाई साला खुद ही तुझे चुदवाने के लिए बेचैन था। वही मुझे बुलाकर यहाँ ले आया है। वही वहाँ सीढ़ी के ऊपर खड़ा खड़ा रोशनदान में से आज तुझे चुदते हुए देख रहा है।”

यह कह कर कालिया ने रोशनदान से देख रहे अर्जुन से कहा, “साले वहाँ खड़ा खड़ा क्या देख रहा है। अंदर आजा। दरवाजा खुला है। देख अब मैं तेरी बहन को कैसे चोदता हूँ। यही देखना था ना तुझे? तो यह देख ले। और तुझे भी अपनी दीदी को चोदना हो तो तो तू भी आजा।”

कालिया की बात सुनकर सिम्मी हतप्रभ सी हो गयी। उसने सोचा भी नहीं था की उसका छोटा भाई इस हद तक जाएगा। सिम्मी ने अचरज से देखा की सीढ़ी से निचे उतर कर अर्जुन दीदी से आँखें ना मिलाते हुए बैडरूम में दाखिल हुआ और एक कोने में जा कर खड़ा हो गया।

सिम्मी क्या बोलती? उसका सर चकराने लगा। अपने भाई की इस हरकत से वह कुछ भी बोलने लायक ही नहीं रह गयी थी। सिम्मी के पास अब चुपचाप पड़े रह कर जो होता है उसको होने देने के अलावा और कोई चारा नहीं था। सिम्मी के दिमाग में अब यह घमासान था की क्या उसका छोटा भाई भी उसको चोदने की तमन्ना रखता था?

दीदी को अर्जुन ने कई बार घर में आधे अधूरे कपड़ों में देखा था और चुदाई के बाद तो अर्जुन ने दीदी को नंगी भी देखा था। पर उस दिन दीदी को नंगी देख कर उसे बड़ा अजीब सा लगा।

दीदी का करारा बदन देख कर उसे ऐसा लगा जैसे दीदी कोई स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा थी किसके खूबसूरत बदन को कोई राक्षस बेरहमी से नोंच रहा था। वह अप्सरा छटपटाती रहती थी; पर उस भयानक बलवान राक्षश पर उसका कोई असर नहीं हो रहा था।

सिम्मी की नंगी जाँघों के बिच में कालिया अपना घोडे सा मोटा और लम्बा लण्ड ऐसे पेले जा रहा था जैसे कोई इंजन के सिलिंडर में पिस्टन अंदर बाहर हो रहा हो। कालिये का लण्ड इतना लम्बा था की पूरा अंदर डालने के बाद भी वह करीब आधा बाहर ही दिख रहा था।

कालिया अपना पूरा लण्ड सिम्मी की चूत में डाल नहीं पा रहा था। अर्जुन के पसीने छूट गए जब उसने देखा की दीदी की चूत से खून की एक पतली सी लकीर रीस रही थी।

दीदी चिल्लाना चाहती थी पर कालिये ने दीदी का मुंह अपनी हथेली से ढक रखा था। खून देख कर अर्जुन “दीदी” कह कर चिल्लाया तब दीदी ने उसे देखा, पर सिम्मी की आँखों में भाई के लिए वह प्यार और ममता नहीं दिख रही थी।

अर्जुन को देखते ही कालिया सिम्मी को जोर जोर से धक्के मार कर चोदने लगा। उसने अपने चोदने गति एकदम तेज़ कर दी। कालिये के जोर से उसका उतना मोटा और लंबा लण्ड पेलने से दीदी कराहने लगी। दीदी के बड़े बड़े स्तन उछल रहे थे। दीदी की आँखों में आतंक था और वह भय और दया की नज़रों से चारों तरफ देख रही थी पर वह अर्जुन से आँख मिलाने से बच रही थी। शायद भाई ने ही उसे इस हाल में पहुंचाया यह उसे अखर रहा था।

अर्जुन ने यह चुदाई पहला दृश्य इतनी करीबी से इतना स्पष्ट देखा था। चाचाजी और चाचीजी की चुदाई में कई दृश्य या तो दीखते ही नहीं थे और कुछ दीखते भी थे तो कुछ ना कुछ बिच में आ जाता था या तो धुंधलाहट के कारण वह उसे ठीक से दिखाई नहीं पड़ता था। पर यहां तो हर एक चीज़ इतनी साफ़ और करीब से उसे दिखाई दे रही थी।

अगर वहाँ दीदी ना होती और कालिया दीदी की इतनी बेरहमी से चुदाई ना करता होता तो आज वह इस दृश्य के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर सकता था। उसने अपने लैपटॉप पर कई अश्लील चुदाई के दृश्य देखे थे और उन्हें देखते हुए कई बार उसने मुठ मार कर अपना माल भी निकाला था। पर आज का दृश्य देख कर वह एकदम स्तंभित सा हो गया।

सिम्मी के मन में एक अजीब सा तूफ़ान उमड़ रहा था। उस तूफ़ान में वह बहे जा रही थी। एक तरफ उसकी दो टांगों के बिच कालिया का तगड़ा लण्ड जो कहर ढाते हुए भी सिम्मी की चूत में एक अजीब सी प्यारी मीठीमीठी हलचल पैदा कर रहा था तो दूसरी तरफ सिम्मी का अपना सगा भाई उसकी चुदाई प्यार से देख रहा था

सिम्मी ने सपने में भी कभी इतनी अजीब सी रोमाँचक परिस्थिति की कल्पना नहीं की थी। वह दुपहर सिम्मी को जिंदगी भर याद रहेगी जब उसके सगे भाई ने उसको कालिया जैसे साँढ़ से चुदवाने की पहल की थी।

कालिया के बड़े जोरदार धक्के से की चुदाई से सिम्मी का पूरा बदन बल खा रहा था। सिम्मी इस दौरान कई बार झड़ चुकी थी पर कालिया था की बिना रुके सिम्मी की चूत में अपना लण्ड पेले जा रहा था। अचानक सिम्मी को महसूस हुआ की कालिया का पूरा बदन सख्त हो गया। सिम्मी जान गयी की कालिया झड़ने वाला है।

सिम्मी ने फ़ौरन कालिया से कहा, “प्लीज कालिया बाहर डिस्चार्ज करना। अंदर मत करना।”

कालिया ने आँखें खोलीं और सिम्मी को गिड़गिड़ाते यह कहते हुए जब देखा, तो वह मुस्कुराया और अपनी चोदने की गति को कम कर उसने धीरेसे अपना लण्ड बाहर निकाल दिया। अपना लण्ड कालिया ने सिम्मी के स्तनोँ के पास रखा और अपने लण्ड में से एक फौव्वारा उसने सिम्मी के भरे गुब्बारे सम फुले हुए मस्त स्तनोँ पर छोड़ा।

सिम्मी की निप्पलोँ सहित दोनों स्तन कालिया की मलाई से ढक गए जैसे घनी बर्फबारी में घर ढक जाते हैं। इतना ही नहीं कालिया की मलाई का अविरत फव्वारा सिम्मी के गले और होंठों पर भी फ़ैल गया।

कालिया ने सिम्मी को भारी तीखी आवाज में हुक्म देते हुए कहा, “चाटो मेरी मलाई को।”

सिम्मी चुपचाप कालिया की मलाई जो उसके होंठो पर जमा हुई थी उसे चाटने लगी। अर्जुन के लिए वह एक ऐतिहासिक दिवस था जब उसने अपने मन की एक जबरदस्त प्रखर इच्छा की पूर्ति की थी। उसके मन में एक पल भी यह खयाल नहीं आया की अगर कालिया सिम्मी से क्रूरता से पेश आता तो सिम्मी की जान भी जा सकती थी।

अर्जुन बस इस बात से खुश था की उसे इतने करीब से दीदी की कालिया से चुदाई देखने का एक अद्भुत अवसर मिला। अर्जुन ने मन में एक तरह का जूनून या फितूर घर कर गया था। उसे खुद चुदाई करना नहीं किसी लड़की की किसी बड़े लम्बे लण्ड वाले तगड़े मर्द से चुदाई देखने का भूत सवार हो गया था। अर्जुन के जीवन में वह क्या तूफ़ान लाएगा वह तो सिर्फ विधाता ही जान सकती थी।

यहां पहला भाग समाप्त होता है। दूसरे भाग का इंतजार करना होगा।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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