Hindi Sex StoriesUncategorized

Drishyam, ek chudai ki kahani-20

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

काफी देर तक चिपके रह कर एकदूसरे के मुंह में अपनी लार दे कर और एक दूसरे की जीभ चूसकर आखिर में दोनों अलग हुए।

सिम्मी का स्त्री रस जो उसकी चूतमें से चू रहा था उसे कालिया को चाटना था जिससे की उस रात की उसकी मल्लिका खुश हो जाए और कालिया को अपना सर्वस्व ख़ुशी से अर्पण कर उस रात को यादगार बना दे।

कालिया ने बड़े प्यार से नंगी सिम्मी को अपनी बाँहों में उठा कर पलंग के एक छोर पर लिटा दिया और उसकी टाँगों को फैला कर उसकी टांगों के बिच में जा पहुंचा।

कालिया ने सिम्मी की चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को अपनी उँगलियों से जुदा किया और जीभ लम्बी कर सिम्मी की चूत के दाने को जीभ की नोक से चाटने लगे।

जैसे ही कालिया की जीभ की नोक ने सिम्मी की चूत के दाने को छुआ तो सिम्मी पलंग पर ही उछल पड़ी। उसकी चूत में एक झनझनाहट फ़ैल गयी। कालिया ने सिम्मी की उत्तेजित हालात को महसूस किया और उससे उसको और भी प्रोत्साहन मिला।

कालिया और भी एकाग्रता और दक्षता से सिम्मी की चूत में से निकल रहे उसके स्त्री रस को चाटने लगा। कालिया को वह कुछ खारा स्वाद एकदम सुस्वादु लग रहा था। सिम्मी अपने आप पर नियत्रण रखने में पूरी तरह से नाकाम हो रही थी।

सिम्मी की कालिया के तगड़े लण्ड को अपनीं चूत में लेनेकी ललक और भी बढ़ रही थी। इस आग में जैसे कालिया ने घी डाला जब उसने अपनी दो उंगलियां सिम्मी की चूत में डाल कर उसे पुरजोश अंदर बाहर करने लगा।

अंदर बाहर करते समय वह यह ध्यान रखता था की सिम्मी की चूत की जो अतिसंवेदनशील त्वचा थी उसे बड़ी दक्षता से छूता या कभी कभार हलके से रगड़ता था। इससे सिम्मी की उत्तेजना और उन्माद और भी बढ़ जाता था। साथ ही साथ में उसके मुंह से अपने आनंद के अतिरेक में बार बार सिसकारियां निकल जातीं थीं।

Related Articles

सिम्मी बार बार पलंग पर मचल मचल कर कालिया से कह रही थी, “कालिया बस करो। अब तुम मुझे चोदो और अपने मन की इच्छा पूरी करो।” पर कालिया सिम्मी की चूत में बड़ी तेजी से अपनी दो उंगलियां अंदर बाहर कर उसकी चूत को अपनी उंगलियों से चोद कर सिम्मी के उन्माद को उसकी पराकाष्टा पर पहुंचाना चाहता था ताकि वह उसके आगे चुदवाने के लिए गिड़गिड़ाए।

कालिया की यही कामना थी की अब तक सिम्मी जो कालिया के ऊपर हावी हो रही थी, वह चुदवाने के लिए तड़पे और कालिया को हाथ जोड़ कर उसे बिनती करे की कालिया उसे चोदे।

और वाकई में हुआ भी वही। सिम्मी ना चाहने पर भी कालिया के उंगली चोदन से इतनी उन्माद और उत्तेजना के अतिरेक में पागल हो रही थी की अब उससे कालिया का उंगली चोदन बर्दाश्त नहीं हो रहा था। अब उसे बस कालिया का घोड़े जैसा लण्ड अपनी चूत को रगड़ रगड़ कर चौदे यही एक इच्छा थी।

सिम्मी की चूत उस समय उसके स्त्री रस की धारा बहा रही थी। सिम्मी कालिया को बार बार हाथ जोड़ कर कह रही थी, “कालिया बस कर यार, अब मेरे ऊपर चढ़ जा और मुझे चोद। अब देर मत कर।”

सिम्मी इतनी उन्मादक स्थिति में पहुँच गयी थी की उससे कालिया का उंगली चोदन बर्दाश्त नहीं हो रहा था। सिम्मी के पुरे बदन में एक अजीब सी सुनामी का उफान आ रहा था। सिम्मी की चूत इतनी तेज फड़क ने लगी थी की सिम्मी के लिए अपने आपको सम्हालना मुश्किल हो रहा था। उसका दिमाग अजीब सी उन्मादक लहरें ले रहा था।

अचानक जैसे एक बड़ी तेज लहर आयी और सिम्मी की चूत में से उसके स्त्रीरस का फव्वारा जैसे छूट पड़ा हो ऐसे सिम्मी बिलखने लगी और कुछ थरथराने के बाद वह झड़ने लगी और फिर एकदम धीरे धीरे बिस्तर में शांत हो गयी। कालिया ने भी समय की नाजुकता देखते हुए अपनी उंगलियां सिम्मी की चूत में से निकाल दीं।

कुछ देर तक जब कालिया सिम्मी से कुछ दूर बैठ कर सिम्मी को देख रहा था तब सिम्मी ने कहा, “क्या हो गया? अरे अब तो शुरुआत है। मैं जानती हूँ, तुम मुझे पूरी रात छोड़ोगे नहीं। पर अब शुरुआत तो करो?” यह कह कर सिम्मी ने कालिया का सर जो उसकी टांगों के बिच में उसे हल्का सा धक्का मार कर पीछे धकेला।

कालिया और उसका लण्ड तो वैसे भी सिम्मी की चूत की कसी हुई दीवारों से रगड़ने के लिए कभी से तड़प रहे थे। कालिया का लण्ड भी सिम्मी की चूत के जैसे ही धीरे धीरे अपना पूर्व रस बून्द दर बून्द छिद्र में से निकाल रहा था। उसे भी सिम्मी की चूत में घुस कर उसके प्रवेश द्वार और पुरी सुरंग को खिंच कर अपनी पराकाष्टा तक चौड़ी कर उसे अपनी विशालता का झंडा गाड़ना था।

दो बार चुदने के उपरांत भी सिम्मी की नयी नवेली चूत उतनी ही तंग थी। सिम्मी को कालिया से नहीं पर कालिया के लण्ड की लम्बाई और मोटाई से और कालिया की काम शक्ति दक्षता मतलब उसकी लम्बे अर्से तक बिना झड़े चुदाई करते रहने के स्टैमिना से डर लगता था। पर साथ साथ में यह भी सच था की उसी क्षमता की वो कायल भी थी।

सखियों से उसने यह समझ लिया था की अक्सर ज्यादातर भारतीय पुरुषों के लण्ड ज्यादा बड़े नहीं होते जैसे काले आफ्रिकन या गोरे लोगों के होते हैं। और असली चुदवाने का मजा तो तगड़े लण्ड से ही आता है।

इसी कारण आखरी छह महीनों में वह कालिया से हो सके इतना चुदवा कर अपनी शादी के पहले हो सके उतना आनंद लेना चाहती थी। उसमें उसे अपने भाई और बाद में चाचीजी का साथ भी मिल गया तो यह तो सोने में सुहागा जैसी बात हो गयी।

पहले की तरह सिम्मी को अब कोई शारीरिक हानि का भय नहीं था। हाँ उसे यह पता था की चुदाई के बाद एक दो दिन वह ठीक से चल नहीं पाएगी। ख़ास कर इस बार तो उसे पता था की कालिया उसे रात भर छोड़ेगा नहीं और कई बार चोदेगा। इस बार कालिया अपना वीर्य भी सिम्मी की चूत में डाले बगैर रुकेगा नहीं।

पहली बार जब सिम्मी कालिया की चुदाई बर्दाश्त ना करने के कारण बेहोश हो गयी थी तब कालिया ने अपना वीर्य सिम्मी की चूत में उंडेल दिया था। सौभाग्यवश उस समय सिम्मी का समय ऐसा था की वह वीर्य सिम्मी को गर्भवती नहीं बना पाया। पिछली बार अपना वीर्य बाहर निकालने की हिदायत से कालिया अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका था।

पर इस बार सिम्मी का समय भी गर्भधारण करने के लिए उपयुक्त था। इसी लिए सिम्मी मन ही मन घबरा रही थी। सिम्मी को इस बार कालिया के वीर्य को उसकी चूत के अंदर जाने का भय था। खैर जो कुछ भी हो जाए सिम्मी ने तय किया की वह इस बार कालिया की चुदाई पूरी तरह एन्जॉय करेगी।

कालिया सिम्मी की फैलाई हुई टाँगों के बिच में तो था ही। वह बैठ खड़ा हुआ और उसने अपने बेताब सख्त लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे हलके से हिलाता हुआ उसे सिम्मी की इंतजार में मचल रही चूत के पास ले गया।

सिम्मी ने कालिया की और देखा और हलके से मुस्काई। कालिया की बेचैनी वह समझ सकती थी। सिम्मी ने अपनी टांगें उठायीं और कालिया के कंधे पर रख दीं। कालिया वहाँ से सिम्मी की गुलाबी पंखुड़ियों वाली रसीली चूत को बहुत अच्छी तरह देख सकता था।

उस रात सिम्मी एक मुग्धवस्था युक्त किशोरी नहीं थी। वह एक परिपक्व अभिसारिका थी जो अपने प्रियतम को अभिसार के लिए आमंत्रित कर रही थी और प्रियतम की प्रेमवर्षण की प्रतीक्षा में स्वयं भी अतिउत्सुक थी।

सिम्मी ने कालिया का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा। चिकनाहट से भरा कालिया का काला लण्ड रात के बिजली के उजाले में चमक रहा था। काले रंग की भी अपनी सुंदरता होती है।

सिम्मी ने उसे अपनी चूत की सतह पर कुछ देर हलके से रगड़ा और अपना स्त्री रस और कालिया का रस मिलाकर उसे अच्छा खासा स्निग्ध किया ताकि कालिया के लण्ड को अंदर जाने में कम कठिनाई हो।

कुछ तकलीफ तो होगी ही यह सिम्मी भलीभांति जानती थी, पर उसे पता था की बाद में वही दर्द उसे उन्माद से भर देगा। अंग्रेजी में एक कहावत है की “नो पैन, नो गेन” मतलब दर्द के बगैर फायदा भी नहीं होता।

सिम्मी कुछ देर तक कालिया के लण्ड को अपनी चूत की सतह पर हलके से रगड़ती रही। गहरे पानी में कूदने से पहले जैसे नौसिखिया तैराक कुछ देर तक अनिश्चितता की स्थिति में खड़ा खडा सोचता रहता है और आखिर में “कूदना तो पडेगा ही” यह सोच कर कूद पड़ता है ऐसी ही स्थिति सिम्मी की भी थी।

आखिर में उसने कालिया के लण्ड को झेलना ही पडेगा, यह सोच कर कालिया के लण्ड को थोड़ा सा खिंच कर अपनी चूत की पंखुड़ियों के बिच रख कर उसे चूत में घुसाने का सांकेतिक प्रयास किया। वह कालिया के लिए एक इशारा था की वह अब धीरे धीरे चुदाई शुरू करे।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

[email protected]

https://s.magsrv.com/splash.php?idzone=5160226

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button