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Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 14

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

केले को मेरी चूत में डाल ने वाली बात याद आते ही मेरी भूख मर गयी और घूमते फिरते मैं वापस कंप्यूटर वाले कमरे में आयी।

योग तब भी कंप्यूटर में अपना सर घुसाए अंक, शब्द और चिह्नों की दुनियां में पूरी तरह खोये हुए थे। मैं एकदम थक चुकी थी। मैं अपना पाँव लंबा कर सामने टेबल पर रख कर सोफे पर लुढ़क गयी। मेरा सर भारी हो रहा था। मेरी आँखें भी बोझिल हो रही थी।

शायद मैं सो ही गयी होती पर तब मैंने जब योगराज की और नजर की तो मैंने देखा की योगराज भी मुझे ताक रहे थे।

उन्होंने मेरी और देखा और पाया की मैं एकदम निश्चिन्त बिन्दास सोफे पर लम्बे पाँव फैला कर बैठी हुई थी।

मैंने उस रात को स्कर्ट पहना था और शायद मेरे फैले हुए पैरों के बिच वह झाँक कर कुछ देखने की कोशिश कर रहे थे।

मैं एकदम सावधान हो गयी। मैंने महसूस किया की कोशिश करने के बाद भी मैं अपने पाँव जोड़ नहीं सकी। मैंने योग की और दुबारा देखा तो उनकी वह भयावह बीभत्स मुस्कान उनके चेहरे पर मैंने देखि। ऐसी मुस्कान जो देखने से मेरे रोम रोम में भय और आतंक फ़ैल गया।

मुझे योग के चेहरा देखने में ही डर लग रहा था। उनकी मुस्कान कोई साधारण नहीं थी। मैं तनावमुक्त तो थी पर पूर्णरूपेण आशंका रहित नहीं थी। उनकी बीभत्स और भयावह मुस्कान से मेरे मन में भय और आतंक की घंटियाँ बजने लगीं।

तब मेरी समझ में आया की जब मैंने उनके घर आना कुबूल किया तो कैसे योग ने अपना वर्ताव बदल दिया। तब से वह मुझे बड़े प्यार से बात करने लगे थे।

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फिर मैं जब योग के घर पहुंची तो उनके पास पूरा मौक़ा था की वह कूद कर मुझे दबोच लेते और वहीँ के वहीँ मुझे निर्वस्त्र कर के मुझे चोद डालते।

शायद वह जानते थे की मैं भी ऐसा कुछ होगा इस बात को तैयार थी। पर ना तो उन्होंने मुझे पटा ने की कोशिश की और ना तो मुझ पर लपक कर मुझे दबोचा। उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं किया की मुझे शक हो की वह कुछ ऐसा वैसा सोच रहे थे।

शायद वह सोचते थे की थोड़ा बहुत आग्रह करने से शायद मैं पट जाउंगी। वह मुझे निर्भय कर देना चाहते थे। जब मैं बिलकुल असावध हूँ तब वह एक दक्ष साँप की तरह एक फुर्तीले झटके से लपक कर मुझे डँस लेंगे, इस बात का मुझे हमेशा डर रहता था।

पर वह बीभत्स और भयावह मुस्कान ने योग का भाँडा फोड़ दिया। उनका सारा मीठा वर्ताव सिर्फ एक दिखावा था। वह जानते थे की यदि मैं सावधान रही तो उनका पुरजोश विरोध करुँगी और उनकी सारी कोशिशें नाकाम हो जायेंगीं। यह ख़तरा वह नहीं उठाना चाहते थे।

मेरे पुरे बदन में एक तीखी डरावनी सी सिहरन फैली जब मैंने योग को कुर्शी पर झुके हुए पोज़ से उठते हुए और खड़े हो कर मेरे सोफे की और आते हुए देखा।

वह आकर मेरे ऊपर झुके और मेरी फैली हुई टाँगों को देखने लगे। उनके चेहरे पर तब कोई सुहार्दपूर्ण भाव नहीं था। वही लोलुप और बीभत्स हँसी और डरावनी मुस्कान।

उन्होंने मेरी और देखा और फिर वही बीभत्स हास्य। उन्होंने मेरी ठुड्डी को एक हाथकी उँगलियों में पकड़ा और बोले, “डार्लिंग, मेरी एक्टिंग कैसी लगी? तुम सोच रही थी न की मैं कैसे बदल गया? ना मेरी प्यारी, मैं ज़रा भी नहीं बदला था। मैं वही इंसान हूँ…

मैं उस दिन तुम्हें लिफ्ट में चोद नहीं सका। पर आज मैं तुम्हें चोदूँगा। नहीं मैं तुम्हें चोदूँगा नहीं, मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती करूंगा। तुम कुछ भी नहीं कर पाओगी। क्यूंकि मैंने तुम्हारे निम्बू पानी में कुछ मिला दिया था अब तुम सिर्फ मेरा चुदाई का खिलौना बनकर रह जाओगी। यही तो तुम भी चाहती थी ना?

योग की बात सुनकर मेरी जान हथेली में आ गयी। मेरे दिमाग में जो भी डर था वह सही साबित हो रहा था। योग की सुहार्दपूर्ण बातें और मीठे शब्द एक छलावा मात्र थे।

योग में मुझे विश्वास जगा था इसी के कारण वह नींबू पानी मैं बिना सोच समझे पी गयी थी। मुझे योग पर विश्वास करने के लिए अफ़सोस होने लगा। अब मैं निसहाय हाल में थी और योग की दया पर निर्भर थी।

अब जब मुझ में उन का विरोध करने की शक्ति नहीं रही तो उन्हों ने अपना असली रूप दिखाया। मेरी असहायता और भय से पूर्ण चेहरा देख कर योग फिर से वही भयानक तरीके से मुस्काये।

वह मेरी असहायता और कमजोर स्थिति का पूरा फायदा उठाने के लिए तैयार थे। मैंने सोफा पर से उठने की बड़ी कोशिश की पर भय, आशंका और कोरी कामुकता की अपेक्षा के कारण मैं उठ नहीं पायी और सोफे पर ही बैठी रही।

योग मुझ पर ऐसे मँडरा रहे थे जैसे एक डर के मारे जमीन पर शिथिल पड़े हुए हिरन के ऊपर भूखा शेर मँडरा रहा हो।

योग ने झुक कर मुझे अपनी बाँहों में आसानी से उठा लिया। मैं उनके सख्त स्नायु और मांसपेशियों को महसूस कर रही थी। उनके पसीने के साथ उनके डिओडरंट की खुसबू मेरे नाक को तरबतर कर रही थी।

मेरे कोमल चिकने गाल उनके छोटी कटी हुई दाढ़ी से रगने पर तीखे बालों से छील रहे थे। मैं उस हलके दर्द को भी महसूस कर रही थी।

यदि मैं कहूं की योग के शारीरिक स्पर्श से मैं एकदम गरम नहीं हुई थी तो वह सरासर झूठ होगा। मैं उम्मीद कर रही थी की योग मुझसे थोड़ी नरमी एवं शिष्टता से पेश आये तो मैं अपने आप ही योग को समर्पित होने के लिए तैयार थी।

पर योग तो शिष्टता और नरमी तो दूर, वह बड़ी आक्रामकता से मुझसे पेश आ रहा था। योग ने मेरी और ऐसे देखा जैसे एक शिकारी अपने शिकार को देखता है।

मैंने योग के चेहरे को देखा और उसकी वही लोलुपता भरी मुस्कान वही बीभत्स हँसी के साथ दिखी। पहली बार मैंने योग के चेरे पर खरोंचे देखीं जो शायद चुदवाते समय लड़कियों ने योग के चेहरे पर उत्तेजना में नाख़ून से अंकित की होंगीं।

उससे पहले मैंने यह ध्यान से देखा नहीं था। जब योग मुस्काया तो उसके मुंह में मैंने एक चमकता हुआ सोने का दांत भी देखा। मुझे जेम्स बांड की एक फिल्म याद आयी जिसमें विलन भी इसी तरह जब मुस्काता था और लोहे के टुकड़े को वह अपने दाँतों से चबा जाता था तो उसका सुनहरा दांत दिखता था।

मुझे इतनी आसानी से फाँस कर मेरे साथ जबरदस्ती करने की उसकी साज़िश को ऐसी सफलता मिलती हुई देख कर योग की हँसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

मैं डर से काँप रही थी। मैं इस गोरिल्ला सामान पुरुष के वश में पूरी तरह आ चुकी थी।

योग ने मुझे ऐसा फँसाया था की ऐसा कोई तरिका नहीं था की मैं उसके चंगुल से छूट पाऊं।

मैं ना तो शिकायत कर सकती थी, ना तो पुलिस के पास जा सकती थी. क्यूंकि मैं अपनी मर्जी से उसके फ्लैट पर गयी थी। सब इस बात को जानते थे। बल्कि वह योग की सहायक लड़की तो शायद यह बयान भी देदे की मैं योग से चुदवाने के लिए बेताब थी।

शायद दुसरी लडकियां भी ऐसी ही बात करें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। उस हालात में मैं कैसे कह सकती योग ने मुझ पर जबरदस्ती की?

योग ने मुझे पलंग पर जैसे फेंक ही दिया। मैं धड़ाम से पलंग पर जा गिरी।

तब योग जोर से मुझे कहने लगे, “अब अपने कपडे अपने आप उतारोगी या फिर मैं उन्हें फाड़ डालूं? फिर मुझे यह मत कहना की मैं नंगी घर कैसे जाऊं?”

योग ने मुझे यह नहीं पूछा की क्या मैं उन्हें चोद ने दूँ? यह बात साफ़ थी की वह जबरदस्ती करने पर तुले हुए थे। शायद वह मुझसे बदला लेना चाहते थे।

योग की और डरते हुए देखते हुए काँपते हाथों से मैंने अपने कपडे एक के बाद एक उतारने शुरू किये। जब मैं अपनी ब्रा उतारने लगी तो योग ने एक ही झटके में उसे जोरों से खींचा और दूर कहीं कोने में फेंक दिया।

उन्होंने तेजी से मेरी पैंटी भी खींची और निचे उतार दी। मैं रोने लगी।

योग की हरकतों से मैं ना सिर्फ डरी हुई थी। मैं खुद भी उतनी गरम थी की क्या बताऊँ! अगर योग ने उस समय कभी भी मुझसे ज़रा सा प्यार से चुदवाने के लिए कहा होता तो मैं उनको हाँ कहने में एक मिनट भी नहीं लगाती।

मैं खुद उनसे चुदवाने के लिए बाँवरी हो रही थी। यह बात वह भी जानते थे।

फिर भी वह मुझसे ऐसा अशिष्ट वर्ताव क्यों कर रहे थे यह मेरी समझ से बाहर था। शायद औरतों को चोदते समय उनको डराने और घबराने में उनको ज्यादा आनंद आता होगा। या फिर यह उनका स्टाइल रही होगा।

आगे क्या होगा? यह जानिए बस थोड़ी ही देर में, क्योकि आज है महा सनडे! तो दो एपिसोड तो बनते है 🙂

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