Hindi Sex StoriesUncategorized

Aakhiri Dagar, Purane Humsafar – Episode 6

This story is part of the Aakhiri Dagar, Purane Humsafar series

रूबी ने मुझे लण्ड़ का गुलाम कहा और एक महीने तक अपने पति से ना चुदवाने चैलेंज दिया मगर मैं पहली ही रात अपने पति चुदवा बैठी। अब मैं यही सोच रही थी कि रूबी को क्या जवाब दूंगी।

अगले दिन ऑफिस में मै रूबी का सामना करने से बचती रही. साथ में लंच किया और ऑफिस में इतने लोगो के बीच वो मुझ पूछ नहीं सकती थी।

रूबी की आंखे मगर लगातार मेरी आँखों में झाँक कर मेरी सच्चाई जानने की कोशिश कर रही थी। लंच के बाद वो मुझे वॉक के बहाने बाहर ले जाना चाहती थी पर मैंने काम का बहाना बना मना कर दिया।

मगर 4 बजे के करीब वो मुझे जबरदस्ती बाहर ले ही गयी। मुझे वो अकेले में ले आयी और सवाल जवाब करने लगी।

रूबी: “मुझे वैसे तुम्हारा जवाब पता हैं, पर फिर भी तुम्हारे मुंह से सुनना हैं”

मैं: “कैसा जवाब! क्या बात कर रही हो?”

रूबी: “मुझे पता नहीं चलता क्या कि तुम सुबह से मुझसे कतरा रही हो. सब पता हैं मुझको, तुमने कल रात चुदवाया हैं। एक रात भी नहीं रुक सकी!”

मैं: “मैने नहीं चुदवाया, वो तो अशोक ने बोला कि….”

Related Articles

रूबी: “कल को राह चलता आदमी बोलेगा तो तुम उसके साथ भी चुदवा लोगी?”

मैं: “कैसी बातें कर रही हो!”

रूबी: “तुम्हारी चूत, लंड की गुलाम हैं और तुम यह बात मान लो”

यह कहते हुए उसने मेरी दो टांगो के बीच हाथ रख मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरी चूत को पकड़ लिया। मैंने उसका हाथ हटाया और इधर ऊधर देखा, किसी ने नहीं देखा था।

मैं: “यह क्या कर रही हो खुले में! कोई देख लेगा तो?”

रूबी: “तुम जब भी चुदवा कर आती हो ना तो तुम्हारी शक्ल बता देती हैं”

मैं: “तलाक देना इतना आसान नहीं हैं”

रूबी: “अपनी चूत की कमजोरी को किसी और चीज पर मत डालो”

मैं: “यार अभी कुछ ऐसा हुआ हैं कि मेरी आंखे खुल गयी हैं। अब बस अशोक की एक और गलती और मै उसको तलाक दे दूंगी”

रूबी: “अपनी शक्ल दिखाओ, तुम्हे चुदने से फुर्सत नहीं और तुम तलाक दोगी. मै ही पागल हूँ जो रोज एक पत्थर से सिर भिड़ाती हूँ. चलो ऑफिस के अंदर, तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता”

रूबी ने भले ही मुझको नकार दिया था, पर रूबी की बातों और पूजा के उस थप्पड़ ने मुझको एक नयी दिशा दे दी थी। मुझे अपने आप को बदलना था। मैंने मन में ठान लिया कि मै अब अशोक की एक भी गलती को जाने नहीं दूंगी.

मैने आज तक जो गलतिया की हैं उसमे कही ना कही अशोक का ही हाथ रहा हैं। अगर वो मेरी ज़िन्दगी से जायेगा तो मै अपने आप सुधर जाउंगी. मैंने सोच लिया था कि अब किसी ग्रुप सेक्स के इवेंट में नहीं जाउंगी.
उस रात मैंने अशोक को मुझे चोदने नहीं दिया। उसको मैंने अपने नीचे के कपड़े तक खोलने नहीं दिए ताकि वो मुझे कमजोर ना कर पाये।

अगले दिन मै ऑफिस में बड़ी शान से गयी। रूबी के आते ही मैंने उसको पुछा कि उसको स्मोकिंग करने नहीं जाना. वो मुझे तिरछी नजरो से देखने लगी। कल तो मै उसके सामने आने से भी घबरा रही थी।

मै स्मोक नहीं करती पर रूबी के साथ जरूर जाती थी, इस बहाने हम कुछ देर अकेले में बात कर लेते थे। वो मेरे साथ बाहर आयी।

मैं: “कल रात मैंने नहीं चुदवाया”

रूबी: “वो मै शक्ल पर पढ़ लेती हूँ. एक दिन नहीं चुदवाया तो खुश होने की जरुरत नहीं”

मैं: “शुरुआत तो की ना ! मैंने एक सप्ताह का टारगेट फिक्स किया हैं। मै करके दिखा दूंगी”

रूबी: ” देखते हैं”

उस दिन रात को भी मैंने पूरा विरोध करते हुए पति को चोदने नहीं दिया और अगले दिन ऑफिस में आयी। हमारे अकेले समय में मै फिर रूबी के साथ बात कर रही थी।

मैं: “आज नहीं पुछोगी कल रात क्या हुआ था या मेरी शक्ल पढ़ ली?”

रूबी: “पढ़ ली शक्ल तुम्हारी. कल रात तुमने भले ही ना चुदवाया हो, पर तुम्हारी शक्ल बता रही हैं कि अंदर तुम कितना तड़प रही हो.”

मैं: “अगर मै चुदवाऊं तो भी तुम्हे परेशानी और ना चुदवाऊं तो भी परेशानी”

रूबी: “मुझे कोई परेशानी नहीं हैं। परेशानी तुम्हे होगी. अभी जो बिन चुदवाए तुम्हारी हालत हैं, मै बता सकती हूँ कि तुम चुदवाने के लिए कितना तड़प रही हो”

मैं: “मैने दो दिन कण्ट्रोल किया हैं, मै आगे भी कर लुंगी”

रूबी: “यह बताओ तुम्हारा पति तुम्हारी चूत में ऊँगली करता हैं उसके बाद तुम नियंत्रित नहीं कर पाती ना? फिर तुम उसको चोदने से मना नहीं बोल पाती होगी, मैंने सही बोला ना?”

मैं: “तुम्हे कैसे पता?”

रूबी: “मै भी कभी बीवी थी, मुझे पता हैं”

मैं: “मैने दो दिन से अशोक को मेरे कपड़े ही नहीं खोलने दिए तो वो मेरी चूत में ऊँगली कैसे करेगा. इसलिए दो दिन से बच रही हूँ”

रूबी: “तो ऐसे कैसे तुम ज्यादा दिन टिक पाओगी? चैलेंज तो तब हैं जब वो तुम्हारी चूत में ऊँगली करे और फिर भी तुम अपने आप को नियंत्रित कर चुदने से बच जाओ. बोलो कर पाओगी?”

मैं: “नामुमकिन हैं। एक बार अगर चूत के अंदर ऊँगली गयी तो फिर मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता”

रूबी: “यह कण्ट्रोल कर लो, फिर तुम में तलाक लेने की हिम्मत आ जाएगी”

मैं: “तुमने कैसे कण्ट्रोल किया?”

रूबी: “शाम को मेरे घर चलना बताती हूँ”

मैं: “घर क्युँ जाना, यहीं बता दो”

रूबी: “खोलो अपनी स्कर्ट”

मैं: “यहाँ खुले में! पागल हो क्या?”

रूबी: “हां तो क्या हुआ! लोगो को भी मजे लेने दो”

मैं: “हट पागल. शाम को मै तुम्हारे घर आती हूँ. पर तुम्हारा बच्चा आजकल कहा रहता हैं?”

रूबी: “इस महीने वो मेरे पति के पास रहेगी. तुम शाम को मेरे साथ चलो”

शाम को ऑफिस से निकलने के बाद मै रूबी के साथ उसके घर आ गयी। घर पर अशोक को फ़ोन कर बोल दिया कि मै लेट हो जाउंगी. अब हम रूबी के ड्राइंग रूम में थे.

रूबी: “चलो अपने सारे कपड़े निकालो”

मैं: “ऊपर के कपड़े क्युँ खोलने हैं?”

रूबी: “तुम्हारा पति जब तुम्हे चोदता हैं तब तुम सारे कपड़े नहीं निकालती हो?”

मैं: “निकालती हूँ, पर अभी उसकी क्या जरुरत हैं”

रूबी: “हम चुदाई का विकल्प करने वाले हैं। इसके बाद तुम्हे अपने पति के लंड की जरुरत नहीं पड़ेगी”

मैं: “पहले बताओ कि तुम करने क्या वाली हो”

रूबी: “जो तुम्हारा पति करता हैं वो मै करुंगी. तुम्हारी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ कर सेतुष्ट कर दूंगी, फिर तुम्हारे पति के लंड की जरुरत नहीं होगी”

मैं: “मै कोई होमोसेक्सुअल नहीं हूँ”

रूबी: “मै भी स्ट्रैट हूँ, कोई लेस्बियन नहीं हूँ. मुझे भी कोई शौक नहीं हैं तुम्हारी चूत को छुने का. मैंने सोचा तुम्हारी मदद कर दू”

मैं: “नाराज क्युँ हो रही हो? पहले ही बता देती कि यह करने वाली हो. यह तो मै खुद कर सकती हूँ”

रूबी: “पहले कभी खुद को ऊँगली की हैं”

मैं: “हां 1-2 बार”

रूबी: “मजा आया फिर?”

मैं: “हां थोड़ा बहुत”

रूबी: “जब दुसरा ऊँगली करता हैं तभी मजा आता हैं, खुद करोगी तो कैसे पूरा मजा आएगा. तुम्हे मुझसे करवाना हैं तो बोलो, वरना मुझे और भी काम पड़े हैं”

मैं: “मगर इस से मेरी चुदने की आदत कैसे छुटेगी?”

रूबी: “पहले अपने पति पर तुम्हारी जो निर्भरता हैं उसको खत्म करो. उसके लिए यह करना जरुरी हैं। मैंने भी ऐसे ही किया था, तब जाकर अपने पति को तलाक देने का मन बना पायी”

मैं: “मतलब तुम जो मुझे कहती रहती हो, वो तुम भी हो. तुम्हारी चूत भी तुम्हारे पति के लंड की गुलाम थी ? तुम भी एक दिन बिना चुदाये रह नहीं पाती थी?”

रूबी: “इतनी आदत थी कि दिन में दो-दो बार करते थे। हम एक ही ऑफिस में काम करते थे तो कभी कभी दोपहर में भी वाशरूम में कर लेते थे”

मैं: “फिर तो तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल रहा होगा अपने पति को तलाक देना!”

रूबी: “मन में ठान लो तो हो जाता हैं। अभी तुमने क्या सोचा हैं?”

मैं: “मै तैयार हूँ, पर ऊपर के कपड़े रहने देते हैं”

रूबी: “सारे कपड़े खोलो, तभी तो फीलिंग आएगी”

मैने अब अपने शर्ट के बटन खोलना शुरु किया और पूरा शर्ट निकाल कर रख दिया। अंदर से मेरा ब्रा और ब्रा से झांकते मेरे मम्मे दिखने लगे थे जो रूबी बड़े गौर से देख रही थी।

थोड़ी शरम भी आ रही थी जिसकी तरह वो मुझे घूर रही थी पर उसकी लड़कियो में दिलचस्पी नहीं हैं वो उसने मुझे पहले ही बता दिया था तो मुझे चिंता नहीं थी।

मैने अब अपनी स्कर्ट खा हूक खोला और उसको भी निकाल दिया। अब मै सिर्फ ब्रा और पैंटी में रूबी के सामने खड़ी थी और वो मुझे ऊपर से नीचे देख रही थी।

मैं: “ऐसे क्या देख रही हो? तुम्हारे इरादे तो नेक हैं? मेरे पास जो हैं वो तुम्हारे पास भी हैं”

रूबी: “यहीं देख रही हूँ कि गजब का फिगर मेंटेन किया हैं। सच सच बताना कितने आशिक हैं तुम्हारे? मेरा पति

अगर तुम्हारा पति होता तो दिन में कम से कम चार बार चोदता”

मै शर्मा कर रह गयी। मैंने अब अपना ब्रा निकाल दिया और मेरे कसे हुए बड़े से मम्मे बाहर आ गए. फिर मैंने अपनी पैंटी भी उतार दी और रूबी के सामने नंगी खड़ी हो गयी।

रूबी: “मुझे तुम्हारे पति पर तरस आ रहा हैं। अगर तुमने सच में उसको तलाक दे दिया तो बेचारा तुम्हारे इस हूस्न की जुदाई में अपनी जान ही ना दे दे. क्या खाती हो, कैसे मेंटेन करती हो ये हूस्न?”

मैं: “अभी जिस काम के लिए आये हैं वो करे?”

रूबी: “अभी तुम सोफे पर पांव चौड़े कर बैठो”

मै अब सोफे पर पीठ टिकाये बैठ गयी और एक पांव जमीन पर तो दुसरा मौड़ कर सोफे पर रख अपने पांव चौड़े कर दिए. मेरी चूत खुल कर रूबी के सामने थी।

रूबी अब आकर मेरे सामने बैठी और अपनी चारो उंगलिया आपस में सटा कर मेरी चूत पर रख ढक दी. मेरी चूत खुली थी तो उसके बीच की एक ऊँगली मेरी चूत में थोड़ा सा धंस गयी।

उसने अपनी उंगलिया ऊपर नीचे रगड़ी और मेरी आहें निकलने लगी। उसने अपनी उंगलिया और भी तेज रगड़नी शुरु कर दी तो अब तेज आहें लगातार आने लगी थी।

रूबी ने अपनी एक ऊँगली मेरी चूत में थोड़ा अंदर घुसा कर रगड़ना शुरु कर दिया था। मै अपनी आंहो को काबू करने की कोशिश कर रही थी पर पूरी तरह कामयाब नहीं हो पा रही थी।

रूबी बढे ही सधे हाथों से कामूक तरीके से मेरी चूत में अपनी ऊँगली और उतार अब अच्छे से रगड़ने लगी थी। मुझे चुदाई वाली फिलींग आने लगी थी और अब मेरे लिए आहें रोकना मुश्किल हो गया था।

तभी डोरबैल बजी और रूबी की उंगलियां थम गयी और मेरी आहें भी.

मैं: “अभी कौन आया होगा?”

रूबी: “मै देखती हूँ, तुम ऐसे ही रहो”

मैं: “नहीं, कोई अंदर आ गया तो?”

रूबी: “अरें, मै नहीं आने दूंगी अंदर”

मैं: “नहीं मुझ डर लगता हैं, मै अंदर बेडरुम में जा रही हूँ”

मै सोफे से उठकर बेडरुम की तरफ गयी और रूबी दरवाजा खोलने के लिए गयी। मै बेडरुम का दरवाजा थोड़ा सा खोले मुंह बाहर निकाल देख रही थी कि कौन आया हैं।

अगले एपिसोड में पढ़िए कि क्या रूबी मेरा भरोसा तोड़ेगी या मेरी चुदाई की लत को छुड़वा पाएगी या मैं ऐसे ही लंड की गुलाम बनी रहूगी!

[email protected]

https://s.magsrv.com/splash.php?idzone=5160226

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button