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Drishyam, ek chudai ki kahani-36

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

जहां में हाँ अजी ऐसे कई नादान होते हैं।
वहाँ ले जाते हैं क़श्ती जहां तूफ़ान होते हैं।

आरती की नैया तूफ़ान में फँसने वाली थी। माना की आरती का पति आरती के साथ था जो मांझी या नाविक बन कर वह तूफ़ान में जा रही नैया को किनारे ले जाने का मादा रखता था। पर आरती और उसके पति कुछ ऐसा करने जा रहे थे, जो अक्सर करने की हिम्मत कई विवाहिता युगल में नहीं होती।

एक तरीके से कहा जाए तो आरती और अर्जुन की जोड़ी वास्तव में भी एक आदर्श पति पत्नी की जोड़ी कही जा सकती है जो सामान्य पति पत्नी का किरदार निभाते हुए भी अपने जीवन की नैया को सम्भोग की नयी ऊँची लहरों की सुनामी में ले जाने की कामना रखते थे

मैंने कहा, “मैं तुम्हारे पति का या रमेश का नहीं, तुम्हारा सपोर्ट कर रहा हूँ। अगर तुम्हें रमेश बिलकुल कोई ख़ास अच्छा नहीं लगता और अगर तुम सच्चे दिल से रमेश से कोई वास्ता रखना नहीं चाहती तो बताओ, मैं इसी वक्त तुम्हें रमेश से सारे नाते रिश्ते तोड़ने के लिए कह दूंगा। बोलो, अब दिल खोलने का और सच बोलने का समय आ गया है।”

इस बार आरती ने तपाक से जवाब दिया, “नहीं अंकल, ऐसी बात नहीं। मैंने कहा ना, रमेशजी बहुत अच्छे हैं। वह सच में मुझे बहुत प्यार करने लगे हैं। अब मैं तो फँस गयी ना? आप तीन मर्दों के बिच में। आप तीनों मेरे पीछे पड़े हो। मेरी समझ में कुछ नहीं आता की अब मैं क्या करूँ अंकल?”

मैंने आरती को आश्वासन दिलाते हुए कहा, “देखो बेटी, जब तुम्हें कोई बात समझ नहीं आये तो तुम्हें जिस पर पूरा विश्वास हो और जो तुम्हारा भला चाहता हो, उसकी बात अगर तुम्हें जँचे तो मान लेनी चाहिए।”

आरती, “अंकल, मुझे आप पर पूरा भरोसा है। आप मुझे अपनी बेटी समझ कर सच्ची निष्पक्ष सलाह दीजिये मेरे लिए क्या सही रहेगा?”

मैंने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें सच्ची और निष्पक्ष सलाह दूंगा। पर इसके पहले मेरा एक सवाल है और तुम्हें उसका सच्चे दिल से बिना शरमाये सही जवाब देना होगा।”

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आरती, “क्या सवाल है अंकल?”

मैंने लिखा, “तो यह दिल पर हाथ रख कर बिलकुल सच सच बताओ की रमेश का स्वभाव और वर्तन के अलावा क्या तुम्हें ऐसा लगा की मान लो की अगर तुम रमेश से चुदवाओगी तो रमेश तुम्हें वह शारीरिक सुख दे पायेगा, जिसकी हर औरत आकांक्षा रखती है? मतलब क्या तुम्हें चोदने का भरपूर आनंद वह तुम्हें दे सकता है?”

आरती ने कुछ झिझकते हुए कहा, “हाँ अंकल, मुझे ऐसा लगता है।”

आरती का जवाब सुन कर मुझे अच्छा लगा। मुझे अपनी मंजिल नजदीक आती नजर आ रही थी। मैंने पूछा, “आरती तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?”

आरती की आवाज से मुझे लगा जैसे वह कुछ उलझन में थी। कुछ झिझकते हुए वह बोली, “उनके बदन से, उनके अनुभवों को सूना और मैंने जो देखा है उससे तो यही लगता है।”

मैंने पूछा, “तुमने क्या देखा और क्या सूना?”

आरती, “मैंने रमेशजी के अंग को देखा, रमेशजी ने मुझे अपने सारे अनुभव बताये। मैं जानती हूँ वह झूठ नहीं बोल रहे थे।”

मैंने कहा, “ओह, क्या इसका मतलब है रमेश ने तुम्हें अपना लण्ड दिखाया?”

आरती, “जी।”

मैंने कहा, “आरती, अब मुझसे तो मत शर्माओ, प्लीज। साफ़ साफ़ बोलो ना की तुमने रमेश का लण्ड देखा? देखो तुमने वादा किया है की तुम साफ़ साफ़ बात करोगी।”

आरती, “जी अंकल, मेरे लाख मना करने पर भी रमेशजी ने वीडियो चैट करते हुए फट से अपनी पेण्ट उतारी और ज़िप खोल कर अपना लण्ड मुझे दिखा ही दिया।”

मैंने पूछा, “अच्छा? तुम्हें रमेश जी का लण्ड कैसा लगा।”

आरती, “बापरे! अंकल उनका लण्ड तो बहुत बड़ा, लंबा और मोटा था। और उस दोपहर के समय भी वह ऐसा सख्ती से खड़ा था जैसे कोई खम्भा हो। अंकल, आप कह रहे हो इस लिए मैं ऐसे शब्द बोल रही हूँ। मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है। मुझे आप गलत मत समझना। क्या बताऊँ, उसे देख कर के तो मैं डर ही गयी। पर उसे देख कर मैं समझ गयी की जो रमेशजी कह रहे थे वह बात सच्ची हो सकती है।”

मैंने पूछा, “क्या कह रहे थे तुम्हारे रमेशजी?”

आरती, “वह कह रहे थे की उनकी पत्नी के देहांत के बाद जब वह बर्दाश्त नहीं कर सके तो कोठे पर जाने लगे थे। वहाँ उन्होंने कई रण्डीयोँ की ऐसी की तैसी कर दी थी, तो बाद में उन सब ने अपने रेट बहुत ज्यादा बढ़ा दिए।”

मैं पूछा, “रमेश ने तुम्हें यह सब भी कहा? फिर तुमने क्या कहा?”

आरती, “हाँ अंकल, रमेशजी ने यह सब मुझे बताया। मैं उन्हें रण्डीयों के पास नहीं जाने को कहा। मैंने कहा यह अच्छी बात नहीं है।”

मैंने पूछा, “तब रमेशजी ने क्या कहा?”

आरती, “क्या कहते? फिर वही बात। कहते हैं, अगर तुम चाहती हो की मैं रण्डीयों के पास ना जाऊं तो तुम मुझे अपनालो।”

मैंने कहा, “हाँ यह सही बात कही उसने। रमेश का कहने का मतलब था की तुम रमेश से चुदवाने के लिए मान जाओ।”

आरती, “हम्म्म।”

मैंने पूछा, “तो तुम क्या कहती हो?”

आरती, “मैं क्या बताती? मैंने कोई जवाब नहीं दिया।”

मैंने पूछा, “चलो कोई बात नहीं, पर मुझे तो बताओ, क्या तुम रमेश से चुदवाना चाहती हो? देखो अब सच सच बताना। अगड़म बगड़म बात कर मसले को टालने की कोशिश ना करना।”

आरती, “अंकल मैं तय नहीं कर पा रही हूँ। अब आप ही बताओ की मैं क्या करूँ? आप जो कहोगे मैं मान लुंगी। आप मना करोगे तो इसी समय से मैं रमेशजी से सारे नाते रिश्ते तोड़ दूंगी और फिर कभी उनसे बात नहीं करुँगी। मैं इस मामले में बिलकुल स्पष्ट हूँ।”

मैंने पूछा, “और अगर मैं कहूं की रमेशजी से चुदवाओ तो क्या करोगी?”

आरती, “मैं क्या बताऊं अंकल? अब बिलकुल ना नुक्कड़ किये बगैर आप जो भी कहोगे मैं वही करुँगी। हाँ या ना, जो आप कहोगे।”

मैंने कहा, “तो सुनो आरती, मैं कहता हूँ की ऐसा मौक़ा बिलकुल बिलकुल गँवाना नहीं चाहिए। हर कोई शादीशुदा औरत के हाथ ऐसा मौक़ा नहीं आता। अपने पति के एक ही ढीले लण्ड से सालों साल चुदवा चुदवा कर तंग आयी हुई हजारों लाखों औरतें तड़पती हैं की उन्हें ऐसा कोई और मर्द मिले जो उन्हें प्यार भी करे और अपने तगड़े लण्ड से उनकी जबरदस्त ठुकाई मतलब चुदाई भी कर सके, और उनके पति को पता भी ना चले। तुम्हें ना सिर्फ यह मौक़ा मिला हुआ है, बल्कि रमेशजी से चुदवा कर तुम ना सिर्फ रमेशजी को बल्कि अपने पति को भी खुश कर पाओगी…

शादी के कुछ सालों बाद पति और पत्नी में एक दूसरे के साथ मैथुन के प्रति कुछ उदासीनता आ ही जाती है, क्यूंकि वही चूत, वही लण्ड, कोई नयी बात नहीं, कोई उत्सुकता अथवा उत्तेजना नहीं होने के कारण पति को पत्नी को चोदने में और पत्नी को पति से चुदवाने में ज्यादा उत्सुकता नहीं होने के कारण कुछ कमी आ जाती है…

मैथुन माने चुदाई शारीरिक दृष्टि से भी नियमित रूप से करनी चाहिए। नियमित रूप से मैथुन करने से शरीर अच्छा रहता है। चुदाई स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसी लिए चुदाई में एक उत्तेजना पैदा करने के लिए कुछ नवीनीकरण भी जरुरी है। इसी लिए मैं कहता हूँ ऐसे मौके मत जाने दो। तुम, तुम्हारे पति और रमेशजी तीनों तुम्हारे इस फैसले से खुश होंगे। मैं तुम्हें तुम्हारे शुभ चिंतक और तुम्हारे पिता की हैसियत से कहता हूँ की बेधड़क तुम रमेश और तुम्हारे पति को कहो की तुम रमेशजी से चुदवाने के लिए तैयार हो।”

मैं कल्पना कर कहा था की उस समय मेरी बात सुनकर आरती कितनी राहत की साँस ले रही होगी। पर मुझे उसके अगले जवाब में कुछ शरारत नजर आयी। उसने लिखा, “अंकल लगता है आपको मेरे पति और रमेशजी ने मुझे चुदवाने के लिए कोई कमीशन दिया होगा जो आप हमेशा उनके पक्ष की ही बात कर रहे हो।”

मैंने जैसे बुरा माना हो ऐसे जताते हुए लिखा, “देखो आरती, यह गलत बात है। मैंने सबसे पहले तुम्हारे बारे में सोच कर ही यह बात लिखी थी; ना रमेश के और ना तुम्हारे पति को ध्यान में रख कर। अगर तुम्हें मेरी बात गात लगती हो तो मत मानो। तुमने मुझे सही सच राय देने के लिए पूछा तो मैंने बताया। बाकी तुम जानो और तुम्हारा काम।”

आरती ने फ़ौरन लिखा, “अरे अंकल, आप तो बुरा मान गए! नहीं मेरा कहने का मतलब यह नहीं था। मैं तो सिर्फ मजाक कर रही थी।”

मैंने लिखा, “तुम बताओ क्या मैंने एक भी बात थोड़ी सी भी गलत लिखी है? क्या कभी तुम एक ही बन्दे से चुदवा कर बोर नहीं हो जाती? क्या तुम्हारा मन नहीं करता की और किसी तगड़े लण्ड से तुम्हारी चुदाई हो? इतने सालों में क्या तुम्हारा पति भी तुम्हें चोद कर बोर नहीं हो गया? उसके प्यार में उसकी चुदाई में फर्क नहीं पड़ा? सच बताना अब हम एक दूसरे से झूठ नहीं बोलेंगे।”

आरती, “अंकल आपकी बात बिलकुल गलत नहीं है। सच है। अर्जुन भी अब मुझसे रातको उतनी गर्मजोशी से सेक्स नहीं……..”

मैंने आरती को बिच में ही रोका और लिखा, “अब अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल मत करो। खुल्लमखुल्ला देसी भाषा का उपयोग करो।”

आरती मेरी बात को समझ गयी। उसने जवाब दिया, “ओके अंकल। मैं साफसाफ बताउंगी। अंकल आप की बात सौफीसदी सच है। अर्जुन अब रात में मेरी चुदाई वह गर्मजोशीसे नहीं करते जैसा शादी के फ़ौरन बाद किया करते थे। उनको मुझे चोदने में शायद उतना मजा नहीं आ रहा जैसा पहले आता था।”

मैंने पट से लिखा, “और तुम्हें भी अर्जुन से चुदवाने में उतना मजा नहीं आ रहा जितना पहले आ रहा था? बोलो, हाँ या ना?”

आरती, “क्या बताऊं अंकल? वक्त होने पर कुछ बोरियत सी हो तो जाती है। पर मैं अर्जुन की चुदाई एन्जॉय तो करती हूँ।”

मैंने पूछा, “तो क्या तुम्हें नहीं लगता की रमेश तुम्हारी इस कमी को कहीं ना कहीं पूर्ति कर सकता है?”

आरती, “अंकल कमाल है! आप कहाँ की बात कहाँ ले जाते हो। ऐसा तो हर कपल के बिच में होता रहता है। तो क्या वह सब शादीशुदा औरतें किसी गैर मर्द की बाँहों में थोड़े ही चली जातीं हैं?”

मैंने लिखा, “जिस किसी को मौक़ा मिलता है, सब किसी ना किसी मर्द से चुदवातीं हैं। पर मौक़ा किसी किसी को मिलता है, सब को नहीं। तुम्हें यह मौक़ा बिना मांगे मिल रहा है। यह समझो। बोलो, अब तुम रमेश को क्या लिखोगी?”

आरती, “आप बताओ, मैं क्या जवाब दूँ?”

मैंने लिखा, “अब जब तुम रमेश से चुदवाने के लिए तैयार हो तो अब थोड़ा ड्रामा करना जायज है। थोड़े नखरे प्यार में तड़के का काम करते हैं। प्यार और चुदाई का स्वाद बढ़ जाता है।”

आरती, “वाह अंकल वाह। अपने तो मान लिया की मैं सेक्स…. मेरा मतलब है चुदाई के लिए तैयार हूँ। लगता है आपने चुदाई में पी.एच.डी. की है। यह कमाल है की आप मर्द हो पर औरत की नस नस से आप वाकिफ हो। चुदाई के बारे में एक शादीशुदा औरत के मन में कैसे कैसे भाव होते हैं उसे आप भलीभाँति समझते हो।”

मैंने लिखा, “आरती, हालांकि मैं खुद उम्रदराज हूँ पर मेरी कई युवा प्रशंशक फेन्स हैं जो मुझसे रोज चैट करती हैं। मैं उनसे बात कर खुद भी युवा महसूस करता हूँ। मेरे बदन पर जरूर पड़ा है पर मेरे सोचने के तरीके पर उम्र का कोई भी असर नहीं पड़ा। मेरी सोच कई युवाओं से ज्यादा आधुनिक है…

चूँकि मैं बड़ी बारीकियों से युवा लड़कियों और शादीशुदा महिलाओं से बात करता हूँ और वह भी मुझसे अपना दिल खोल कर बात करती हैं; मैं लड़कियों और महिलाओं की संवेदनाएँ समझता हूँ। खैर अब तुम रमेश से कहो की तुम्हें रमेश एक अच्छे इंसान लगते हैं, इस लिए तुम उसकी बात पर गौर करोगी; पर एक शादीशुदा औरत गैर मर्द से शारीरिक सम्बन्ध रखे यह पाप है और वह तुम नहीं करना चाहती इस बात को वह ध्यान में रखे।”

पढ़ते रहिये, यह कहानी आगे जारी रहेगी..

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