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अगर मुझसे मोहब्बत है-9 (Agar mujhse mohobbat hai-9)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

पति हूं फिर भी उसके लंड का जूस मैं पिला दूंगा।

पराये मर्द से चुदने की खुशीयां मैं दिला दूंगा।

अगर तुम चोदने वाले को सब अपनी शरम देदो।

अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे सब अपने ग़म देदो।

मैं जानने के लिए उत्सुक था कि दुबारा क्या हुआ। मुझे पूछने की जरुरत नहीं पड़ी। रीता खुद मेरे पास आयी, और किरण और सूरज ना सुन पाएं ऐसे बोली, “यार यह किरण का लम्पट पति सूरज सुधरेगा नहीं। इस बार तो डांस करते-करते पता नहीं कब हम वहां से निकल गए।

सूरज मुझे क्लब के कोई एक अंधेरे से कमरे में ले गया। वहां जाते ही दरवाजा बंद कर उसने मुझे दबोच ही लिया। जो वह पिछली बार नहीं कर पाया था उसने उससे कहीं ज्यादा इस बार कर ही लिया। उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा खिसका कर मेरे बूब्स को मसल दिए। मुझे होंठों पर चूम भी लिया।

वहां कमरे में एक बेंच था। सूरज ने उसके ऊपर मुझे लिटा कर मेरा घाघरा ऊपर उठाया। वह अपनी पतलून खोल ही रहा था कि मैं उसे कपडे ना उतारने के लिए कह कर चिल्लाने लगी। तब कुछ घबराया हुआ सूरज मुझसे चुप रहने के लिए मिन्नतें करने लगा।”

मैंने आश्चर्य से पूछा, “क्या वह तुम्हें चुप रहने के लिए कहने लगा?”

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रीता ने कहा, “हां वह बार-बार मुझे कहने लगा कि वहां काफी लोग हैं, वह आ जाएंगे और हम सब की बदनामी होगी। इसलिए बेहतर है की मैं ना चिल्लाऊं।”

मैंने पूछा, “फिर क्या हुआ?”

रीता ने कहा, “फिर क्या, मेरे चुप रहते ही वह फिर जोश में आ गया। वह मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरे मुंह पर अपनी हथेली रख कर अपनी पतलून पहने हुए ही मेरी चूत को अपने लंड ऊपर से ही धक्के मारने शुरू किये जैसे वह मुझे चोद रहा हो।

चूंकि मैंने भी साड़ी, घाघरा, पैंटी पहन रखी थी, और उसने अपना लंड नहीं निकाला था और उस समय वहां कुछ लोग कमरे के बाहर बातें कर रहे थे, तो मैं चुप रही और सूरज मेरे ऊपर चढ़ कर चुदाई वाले धक्के मारता रहा।

अगर मैं चिल्लाती तो बाहर खड़े लोग दरवाजा खटखटाने लगते और अंदर आ जाते और हमें उस हालत में पकड़ लेते। सब की बड़ी बदनामी हो जाती। पता नहीं यह आदमी मुझे देख कर इतना पागल क्यों हो जाता है? पता नहीं सूरज को उस समय क्या हो गया था?”

मैंने रीता को रोक कर पूछा, “तुम्हें क्या लगता है? वह ऐसा क्यों कर रहा था? तुमने उसे पूछा नहीं?”

रीता ने मेरी और देख कर अपने होंठ कुछ टेढ़े कर बोला, “पता नहीं तुम मर्दों का दिमाग कैसे चलता है? इसका क्या मतलब होता है यार? जब वह इस तरह की हरकतें करता है तो तुम पूछते हो वह ऐसा क्यों कर रहा है? अरे इस तरह करने से मैं उससे चुदवाने के लिए राजी हो जाउंगी क्या?”

मैंने पूछा, “इसका मतलब सूरज तुम को चोदना चाहता है?”

इस बार रीता का दिमाग झटका, “तो तुम्हें क्या लगता है? वह मेरी पूजा करना चाहता है? अरे तुमने मुझे मना किया था इस लिए मैं चुप रही और कुछ देर वह ऐसे ही धक्के मारते हुए मुझे चोदने का स्वांग करता रहा। मैं हैरान सी उसे यह सब करते हुए चुप हो कर देखती ही रह गयी।

उसके बाद मुझे चुप देख कर तो सूरज ने कुछ गजब ही कर दिया। उस अंधेरे कमरे में सूरज ने खड़े हो कर ज़िप खोल कर अपना लंड निकाला और मेरे हाथ में अपना लंड रख दिया। बापरे, क्या बड़ा था उसका लंड?

उसको जब मैंने हाथ में फील किया तो इतना हैवी था कि क्या बताऊं? शायद वह चाहता था कि मैं उसके लंड को हिलाऊं और चूसूं। मैंने गुस्से में अपना हाथ हटा दिया और उसे बोल दिया कि अगर वह रुक नहीं गया तो मैं चिल्लाऊंगी।

मैंने सूरज को उससे आगे बढ़ने नहीं दिया। ना चाहते हुए भी मुझे उसे डांटना पड़ा। मुझे लगता है सूरज अब तौबा करेगा और दुबारा ऐसी-वैसी हरकत नहीं करेगा।”

इस बार हैरान होने की बारी मेरी थी। मैं “यह क्या किया तूने?” यही बोल कर चुप हो गया। मुझे लगा कि अब तक के सब करे कराये पर मेरी बीवी ने पानी फेर दिया। मेरी बात सुन कर मेरी बीवी मुझे कुछ हैरानगी से मुझे देखती रह गयी। उसने मुझसे पूछा, “क्या मैंने कुछ गलत किया?”

मैंने कहा, “मैंने तुझे क्या कहा था?”

रीता ने जवाब में कहा,”तुमने कहा था कि मैं सूरज से नरमी से पेश आऊं। तो मैंने उसे पहले सब कुछ करने दिया ना? रोका तो मैंने उसे उसके बाद!”

मैंने अपनी हताशा दिखाते हुए कहा, “ठीक है। कोई बात नहीं। जो हो गया सो हो गया। पर अब आगे से यह रोकने टोकने की कोई बात नहीं करना, ओके? यार हम एन्जॉय करने आये हैं। अगर उसने लंड तुम्हारे हाथ में दे ही दिया था तो थोड़ा हिला देती उसे। वक्त तो था ही, और तुम लोग अकेले भी थे। चूस लेती।

तुम खुद कह रही हो की उसका लंड बहुत ज्यादा तगड़ा है। तो फिर कुछ देर के लिए ही सही, मजा ले लेती ना? मैंने तो तुम्हें कह ही दिया था कि एन्जॉय करो। सूरज तुम पर वैसे तो जबरदस्ती नहीं कर रहा है ना? थोड़ा साथ देना सीखो ना? क्यों ऐसा रंग में भंग कर देती हो?”

रीता ने बड़ी ही सरलता से कहा, “यार तुम भी कमाल हो। मैंने क्या रंग में भंग किया? भला पहली या दूसरी मुलाक़ात में कोई अचानक ऐसा करता है क्या? तुम गुस्सा क्यों होते हो? उसने थोड़ा ज्यादा किया तब मैंने उसका विरोध किया। मैं चिल्लाने की धमकी नहीं देती तो पता नहीं वह और क्या क्या करता?

वह तो मेरा घाघरा ऊपर उठा कर अपना लंड निकाल कर मेरी चूत में डाल ही देता। चिल्लाने की धमकी नहीं देती तो वह नंगी करके चोद ही देता मुझे। तुमने कहा था तो उसका साथ तो दिया ही था ना मैंने? चिल्लाई तो नहीं ना मैं? यह तो मैंने उसे बस गीदड़भबकी ही दी थी, अगर मैं चिल्लाती तो तुम यह कह सकते थे।”

मैंने पूछा, “क्या अगर सूरज ने सब कुछ कर लिया होता तो भी तुम ना चिल्लाती?”

रीता ने गरूर से अपना सिर उठाते हुए कहा, “पर आगे कुछ किया भी तो नहीं ना सूरज ने? मैं तुम्हें एक बात बताये देती हूं। मैं कोई मेमनी नहीं हूं कि कोई भी शिकारी कुत्ता या भेड़िया आये और मुझे उठा कर ले जाए। तुम मुझे अच्छी तरह जानते हो।

तुमने जब मुझे शादी के लिए या पहली बार जब चुदाई के लिए राजी किया था, तो क्या मैं ऐसे ही मान गयी थी? ऐसे ही थोड़े ही होता है? किरण कह रही थी कि सूरज भी जिद्दी है। वह जिस औरत के पीछे पड़ जाता है उसे चोदे बगैर छोड़ता नहीं।

अगर मैं उसे रोकती नहीं तो वह तो पता नहीं क्या कर देता मुझे? मुझे छोड़ता थोड़े ही? उसकी ऑफिस में कई सुन्दर लडकियां है, क्यों वह उनमें से किसी के पीछे नहीं पड़ता? पता नहीं वह मेरे पीछे ही हाथ धो कर क्यों पड़ा है? उसको मुझ में ऐसा क्या दिखा जो मेरे ही पीछे पड़ा हुआ है? यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही।”

सूरज उस वक्त कुछ दूर खड़ा किसी से बात कर रहा था। वह हमारी बात नहीं सुन पा रहा था। पर यह बात किरण ने सुन ली। वह हम दोनों के पास आयी और उसने रीता को कोहनी मार कर कहा, “मैं सच कह रही थी। मैं मेरे पति को अच्छे से जानती हू।

मेरे पति किसी ऐरी-गैरी को पास फटकने भी नहीं देते। सच्चे हीरे की पहचान है उन्हें। सच्चे हीरे की परख एक अच्छे जौहरी को ही होती है। उनकी नजर में तू एक सच्चा हीरा है। मेरे पति अच्छे जौहरी हैं। तू कुछ भी करले वह तुझे छोड़ेंगे नहीं। बेहतर है तू मेरा कहना मान और मेरे पति का साथ दे।

यार हमारी उम्र में खुल कर चुदाई का आनंद देना चाहिए। तुम क्या बूढी हो जाओगी फिर चुदवाओगी? हम लोग अपने पति से रोज चुदवातीं ही हैं ना? तो तू अगर मेरे पति से एक दिन चुदवायेगी तो क्या हो जायगा? कौन सी तेरी ब्यूटी कम हो जायेगी?”

फिर रीता को एक बार और कोहनी मार कर अपनी आँखे मटकाती हुई किरण हस कर बोली, “अरी, एक-दूसरे की अंडरस्टैंडिंग से सब होता है। तुम्हारे पति को देख। वह तो आज भी तैयार बैठा है।

तू मान जा हम सब एन्जॉय करेंगे। तू सबसे ज्यादा एन्जॉय करेगी समझी?” रीता ने मेरी और देखा। मैंने मेरी पत्नी रीता से बड़ी ही शालीनता से आँख मिला कर अपना सिर हिला कर सहमति जताई।

मैं रीता का हाथ पकड़ कर उसे कुछ दूरी पर ले गया। मेरी पत्नी मुझे हैरानगी से देखती ही रही। वहां मैंने रीता को बड़े प्यार से अपने करीब खींच कर उसे अपनी बाहों में भर कर समझाते हुए कहा, “देख लिया? अब तो सूरज की बीवी भी तुझे कह रही है।

अब बेहतर है तू मान जा, और सूरज का साथ दे। मेरा मतलब है वह जो कर रहा है उसे मत रोक। सूरज और किरण वाकई में हम दोनों को बहुत चाहते हैं और तुम्हारे हां कहते ही हम सब साथ हो जाएंगे। हमारी बात मान जा। ओके?”

रीता ने मुंह बिगाड़ कर मेरी और तीखी नजर से देखा और फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे किरण के पास ले आयी। मेरी पत्नी ने मेरे और किरण की और बारी-बारी से देखते हुए कहा,”हे राम! तुम सब लोग मिल कर मुझे पागल बना कर ही छोड़ोगे क्या?

तुम सब कह रहे हो कि मैं सूरज के साथ? मतलब राज, तुम, सूरज और किरण मिले हुए हो, और मुझे कह रहे हो की हम एक-दूसरे से, मतलब अदला बदली और? और-और तुम? तुम किरण के साथ? किरण तू बता, तू क्या चाहती है? तेरा बस चले तो तू तो मुझे अपने पति के साथ सुला कर ही छोड़े।

तेरे पति सूरज का क्या है, वह तो तैयार ही है मुझे पेलने के लिए। पता नहीं तुझे यह क्या हो गया है? तू मेरे पीछे हाथ धो कर क्यों पड़ी है? तुम सब लोग मेरे ही पीछे क्यों पड़े हुए हो?”

फिर मेरी और मुड़ कर बोली, “तुम क्या चाहते हो? तुम किरण के साथ सोना चाहते हो? ठीक है, जाओ, मैं तुम्हें इजाजत देती हूं। अगर किरण के पति को कोई दिक्कत नहीं तो मेरा क्या है?”

किरण ने जोर से हसते हुए मेरी पत्नी से कहा, “अरे बुद्धू, तू क्या समझती है अपने आपको? तू अगर इतनी ज्यादा सुन्दर है ना तो मेरे पति भी कम नहीं है। अरे तू देखना, एक बार अगर मेरे पति का जादू चल गया ना, तो तू मेरे पति की दीवानी हो जायेगी। तू खुद उनके साथ सोने के लिए तैयार हो जायेगी। मुझसे मिन्नतें करेगी उनसे चुदवाने के लिए। मेरे पति है ही ऐसे।”

किरण की खरी-खरी बात सुन कर मेरी पत्नी हैरानगी से मेरी प्रतिक्रिया देखने के लिए मेरी तरफ मुड़ी और बोली, “यह देखो, तुम्हारे सामने तुम्हारी पत्नी को यह किरण क्या कह रही है? तुमने सुना, वह मुझे तुम्हारी बीवी को अपने पति के साथ सुलाने की बात कर रही है और तुम चुप हो? तुम कुछ तो बोलो।”

मैंने अपने कन्धों को उछालते हुए कहा, “मैं क्या बोलूं तुम दोनों के बीच में? वह तुम्हारी प्यारी दोस्त जो है। वह तुमको सूरज के साथ सोने के लिए कह रही है। उसने मुझे तो कुछ नहीं कहा। सूरज के साथ सोने की और पेलने की बात तो तुमने ही शुरू की।

अब जब वह कह रही है तो तुम्हें मिर्ची क्यों लग रही है? तुम उसे जवाब दो ना? उसे कहो, तुम सूरज के साथ सोओगी की नहीं? अगर तुम सोना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं।”

आगे की कहानी अगले पार्ट में।

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