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गे दोस्त की बहन को चोदा

फ्रेंड सिस्टर सेक्स का मजा मैंने लिया मेरे ख़ास दोस्त की कुंवारी बहन की बुर चुदाई करके! वो बहुत गोरी व हॉट थी. मैं तो उसे चोदने की ही सोचता था.

हाय दोस्तो, मेरा नाम कबीर है.
मेरी उम्र 23 साल है और मैं दिल्ली में रहता हूं.

आज मैं आपको एक मेरी सच्ची फ्रेंड सिस्टर सेक्स कहानी सुनाना चाहता हूं.

मैं जब कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था, तब मेरा एक दोस्त बना था, उसका नाम प्रतीक था.
प्रतीक एक गे था, पर उसने मेरे साथ कभी ऐसा व्यवहार नहीं किया, जिससे मुझे कभी शक होता कि वो गे है.

कालेज के टाइम में मेरी कुछ गर्लफ्रेंड हुआ करती थीं जिनके साथ मैं सेक्स तो अक्सर ही किया करता था.
जब भी मैं प्रतीक से किसी लड़की की चुदाई की बात करता था, तो वो मेरी बातों को नजरअंदाज कर दिया करता था.
ये मैं समझ नहीं पाता था कि वो ऐसा क्यों करता था.

उसकी एक बहन भी थी. उसका नाम श्वेता था. वो बहुत गोरी व हॉट थी.
मैं जब भी श्वेता को देखता था, तो उसे चोदने की ही सोचता था.

उसका फिगर 32-28-34 का था. उसे देख कर कोई भी उसे चोदने की नहीं सोचे, ऐसा हो ही नहीं सकता था.
वो मुझसे काफी खुली थी और मुझसे डबलमीनिंग बातें भी कर लेती थी.

अपने दोस्त की बहन होने के कारण मैंने अपने अरमान हमेशा अपने अन्दर ही रखे.
लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे अरमान सच हो जाएंगे.

ये सब सच होने में थोड़ा वक्त लगा.

श्वेता मुंबई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चली गई थी, मुझे लगने लगा था कि अब उसे चोदने का सपना, सपना ही रहेगा.

एक बार मेरे दोस्त ने बताया कि उसकी बहन छुट्टियों में घर आई हुई है.
तो मुझे श्वेता से मिलने की तड़फ जाग गई.

श्वेता को जल्द ही वापिस भी जाना था.
मेरे दोस्त प्रतीक ने भी उसके साथ जाने का मन बनाया था ताकि वो मुंबई घूम सके.

तभी प्रतीक ने मुझसे साथ चलने को कहा.
मुझे ऐसे किसी के भी साथ कहीं जाना पसंद नहीं है पर श्वेता का साथ पाकर तो मैं झट से तैयार हो गया.

प्रतीक ने हम तीनों की ट्रेन की टिकट बुक कर ली थीं.
मैं बस यही सोच रहा था कि क्या पता ट्रेन में ही कुछ करने को मिल जाए.

श्वेता को देख कर मुझसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो रहा था. मैं यही सोच कर जा रहा था कि पक्का वो मेरे साथ चुदाई करेगी.

हम सब कैब से रेलवे स्टेशन जाने के लिए निकले.
कैब में श्वेता और मैं पीछे बैठे थे. घर से रेलवे स्टेशन का आधा घंटा का रास्ता था.

चलती कैब में हम दोनों पीछे बैठे बात करने लगे और हंसी मजाक करने लगे.

मजाक मजाक में मैंने अपना एक हाथ श्वेता की जांघ पर रख दिया.
वो इतनी हॉट थी कि उसकी जांघ पर हाथ रखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैं अपना हाथ हटा कर लंड को सही करने लगा. मैं ऐसे करने की कोशिश कर रहा था ताकि श्वेता को पता नहीं चले.
लेकिन उसने देख लिया था.

श्वेता ने भी आंखों से ऐसा दिखाया कि उसको भी मेरा लंड देखने का मन हो.
उसकी आंखों में लंड की भूख दिखाई दे रही थी.

दरअसल वो मेरी तरफ देख कर आंख दबा कर मुस्कुराने लगी थी.
उसकी निगाहों से मुझे अपना रास्ता क्लियर होता दिख रहा था.

अब मुझे डर नहीं था, ये पता चल चुका था कि वो भी मुझसे चुदना चाहती है.

लेकिन बस यही सोच रहा था कि इसे प्रतीक के साथ होते कैसे चोदूंगा.

हम रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन का इंतजार करने लगे.
मैं यही सोचे जा रहा था कि काश हम अभी ही चिपक जाएं, तो मजा आ जाएगा.

ट्रेन आई और हम तीनों उसमें बैठ गए.

ये रात की ट्रेन थी. इसमें सफर करने का मुझे फायदा उठाना था, ताकि रात में ही मुझे मौका मिल जाए.
श्वेता मुंबई में गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी, तो वहां उससे अकेले में मिलना मुश्किल था.

इधर प्रतीक मेरे साथ में ही था. उसके सामने मैं उसकी बहन के साथ कुछ नहीं कर सकता था इसलिए मैं इन्तजार कर रहा था.
रात में काफी देर तक हम लोग बातें करते रहे और मजाक करते रहे.

वो मेरे बाजू में बैठी थी. कई बार वो मुझसे मजाक मजाक में चिपक जाती और मेरे लंड पर हाथ रखने की कोशिश करती लेकिन सामने भाई के बैठने के कारण वो कुछ नहीं कर पा रही थी.
काफी रात हो गई और हम सब अपनी अपनी बर्थों पर सोने लगे.

मैं सोना नहीं चाहता था, बस रात में श्वेता के पास जाकर उसे चोदना चाहता था.
लेकिन उसकी आंख लग गई और मैं भी मन मसोस कर आंख बंद करके सो गया.

नींद में होने के बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे पैंट में हाथ डाल कर मेरे लंड से खेल रहा है.
मैंने थोड़ी सी आंख खोल कर देखा, तो मुझे सामने प्रतीक दिखा.
मुझे लगा कि ये सपना है.

मैं उसका हाथ हटा कर वापस सो गया.

हम मुंबई पहुंचे और श्वेता को गर्ल हॉस्टल में छोड़ दिया.
हम दोनों होटल के कमरे में आ गए.
मुझे लगा कि अब मैं शायद कभी श्वेता को नहीं चोद पाऊंगा. मेरा मन उदास हो गया था.

फिर प्रतीक और मैंने मुंबई घूमने का प्लान बनाया.

पहली रात में हम दोनों ने दारू पीने का सोचा और रात को होटल के कमरे में ही पीने लगे.
दारू के नशे ने प्रतीक मेरे लंड पर झुक गया और बहकी बहकी बातें करने लगा.

मैंने ये मजाक समझा.
तभी उसने मेरे बॉक्सर को नीचे कर दिया और लंड चूसने लगा.

मैंने उसे लंड चूसते देखा तो एकदम से चौंक गया. मैंने कहा- प्रतीक, तू यह क्या कर रहा है?
प्रतीक बोला- मैं गे हूँ. बस तुझे बता नहीं पाया. मैं शुरू से तेरे साथ सोना चाहता था.

यह सुन कर मेरा सारा नशा उतर गया. मैं जिसकी बहन को चोदना चाहता था, वो खुद ही मुझसे चुदना चाहता था.
पर मैं गे नहीं था, तो मैंने उसे समझाया.

मगर वो नशे में मेरे पीछे पड़ गया.
फिर मैंने उससे कहा- सुन बे, मुझे श्वेता बहुत पसंद है. मैं तो उसे चोदना चाहता था और उसी के चक्कर में तेरे साथ यहां आया था.

प्रतीक यह सुन कर थोड़ा चुप हो गया. फिर वो बोला- ओके, मेरी बहन को चोद लेना लेकिन तुमको मुझे भी चोदना पड़ेगा.

मैंने कहा- प्रतीक, मैं तेरे लिए किसी गे का इंतजाम कर दूंगा लेकिन मैं नहीं कर पाऊंगा.
प्रतीक बोला- अगर तू मेरी बहन को चोदना चाहता है, तो पहले तुझे मेरे लिए इंतजाम करना पड़ेगा या तुझे ही चोदना पड़ेगा.

मैं सोचने लगा कि यार मुझसे तो न हो पाएगा. किसी तरह से मैंने एक गे को बुलाने का सोचा, जो प्रतीक की गांड मार सके.
मैंने ऑनलाइन सर्च किया, मुझे एक गे मिल गया. मैंने उससे बात तय की और उसे बुला लिया.

मैं दूसरा रूम लेकर प्रतीक से अलग हो गया.

उधर उस बाहरी लड़के के साथ प्रतीक ने मजे लेने शुरू किए. इधर मैं अपने कमरे में लेटे लेटे यही सोच रहा था कि श्वेता को चोदने को कब मिलेगा.
यही सब सोचते सोचते रात कब कट गई, कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह मैं प्रतीक के रूम में गया, तो प्रतीक बहुत खुश था.
उसने मुझे गले लगाया और कहा- तूने मुझे खुश करवा दिया. तू जो मांगेगा, वो मैं तुझे करने दूंगा.

मैंने कहा- मुझे श्वेता को चोदना है.
प्रतीक बोला- ठीक है, मैं उसको होटल बुला लेता हूँ.

प्रतीक ने मेरे सामने श्वेता को फोन किया और पार्टी करने के नाम पर होटल बुला लिया.
श्वेता होटल आई, तो मैं बस ठगा सा रह गया.

दोस्तो, क्या बताऊं वो इतनी हॉट ड्रेस पहन कर आई थी कि मैं बस यही सोच रहा था पार्टी के पहले ही इसी नंगी करके चोद दूं.

हम तीनों पार्टी करने लगे.
प्रतीक अपनी बहन के सामने ही खुल कर दारू पीने लगा.

क्योंकि उसने यही प्लान बनाया था कि वो दारू पीकर सो जाने का नाटक करेगा और मैं उसकी बहन को लेकर दूसरे कमरे में चला जाऊंगा. उसके बाद मैं श्वेता को चोद लूंगा.

कुछ ही देर में प्रतीक को नशा हो गया और वो सोने की कह कर अपने बिस्तर पर लेट गया.
मैं श्वेता से बातें करने लगा.

मैंने श्वेता से कहा- आगे की पार्टी हम दोनों मेरे रूम में करते हैं.
श्वेता बोली- ठीक है, चलो.

मैं अपने कमरे में आ गया और हम दोनों मजाक मस्ती करने लगे.
मेरा लंड श्वेता की चुदाई के लिए कड़क होने लगा था.

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने मजाक मजाक में श्वेता के होंठों पर किस कर लिया.
उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे थे.

फिर मुझे लगा कि कहीं उसको बुरा न लगे, तो मैं पीछे हो गया और माफी मांगने लगा.

श्वेता बोली- कोई बात नहीं, हो जाता है. जब मैं इतनी हॉट हूँ, तो ऐसी इच्छा हो जाना सामान्य सी बात है.
मैंने कहा- हां श्वेता, तुझे देख कर तो कब से मेरे मन में है कि तेरे साथ सेक्स करूं!

श्वेता ने हल्की सी मुस्कान बिखेरी और वो आगे बढ़ कर मुझे किस करने लगी.
मेरी तो समझो फ्रेंड सिस्टर सेक्स करने की मन की मुराद पूरी होने लगी थी.

मैं भी उसका साथ देने लगा.
कुछ ही देर में हम दोनों काफी गर्म हो गए थे.

मैं उसको कुर्सी से उठा कर बेड पर ले आया और उसकी ड्रेस उतार दी.
वो मेरे सामने काली ब्रा पैंटी में थी.

आह … उसके गोरे बदन पर काले रंग की ब्रा पैंटी गजब ढा रही थी.
मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसकी नंगी चूचियों पर झपट पड़ा.

मैं श्वेता के मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा, चूमने लगा.

श्वेता कामुक आहें निकालने लगी और जोर जोर सिसकारी लेने लगी.
उसकी मादक आवाजें सुन कर तो मैं पागल ही हुआ जा रहा था.

अब मैंने उसकी पैंट और पैंटी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा.
उसकी चूत एकड़ सफाचट गुलाबी थी.

मैं चिकनी चूत देख कर लगभग टूट पड़ा. जोर जोर से जीभ से चूत चाटने लगा.
श्वेता के मुँह से सिसकारी निकलना और तेज हो गईं- आह आह और जोर से चाटो ना इसे …’ ‘हां श्वेता रानी, आज तो तेरी चूत को खा ही जाऊंगा.
वो बोली- खा जाओ, तुम्हारे लिए ही संभाल कर रखी है.

श्वेता वर्जिन थी. उसकी टाईट चूत इस बात की गवाह थी.

फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और हम दोनों 69 के पोज में आ गए.

श्वेता मेरे लंड को भूखी कुतिया की तरह चूसने लगी और जोर जोर से हिलाने लगी.
कुछ मिनट तक उसने मेरे लंड को इतना ज्यादा चूसा कि मैंने उसके मुँह में ही अपना रस छोड़ दिया.

वो भी पूरा वीर्य पी गई. वो लंड रस चूस लेने के बाद भी अपने मुँह से मेरे लंड को नहीं निकाल रही थी, बस चूसे जा रही थी.

उसका पानी निकलने वाला था तो उसने अपनी चूत को मेरे मुँह के ऊपर दबाया और पूरा पानी मेरे मुँह में ही निकाल दिया.
मैंने भी उसकी चूत का पानी पी लिया.

दो मिनट के ब्रेक के बाद हम दोनों वापिस किस करने लगे.

श्वेता भी गर्म हो गई और लंड चूसने लगी.
मैंने उसके मुँह से लंड गीला करवा कर बाहर निकाला और उसकी चूत पर रख दिया.

श्वेता बोली- धीरे करना प्लीज, मेरी फट जाएगी.
मैं बोला- श्वेता रानी, कुछ नहीं होगा.

मैंने लंड सैट किया और झटके से चूत में घुसा दिया.
उसकी चूत चिर गई और वो बहुत जोर से चीखने लगी.

मैं उसके होंठों को अपने होंठों में दबाने कर उसे चोदने लगा.

मगर उसकी आंखों में आंसू दिखे तो मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.
मैंने देखा कि बेड पर खून लग गया था, उसकी सील फट गई थी.

मैंने उसकी चूत साफ की और उससे कहा- तुम्हें दर्द हो रहा है, अब बस रहने देते हैं.
लेकिन श्वेता चुदना चाहती थी तो उसने कहा- यह सब छोड़ो और मुझे चोदो.

मेरा लंड ढीला हो गया था.
मैंने फिर से उसे लंड चुसाया और वापिस उसकी चूत में डाल दिया.

श्वेता की सिसकारी निकलना शुरू हो गई. वो जोर जोर से किस करने लगी.
मैं भी जोर जोर से थक्के लगाने लगाने. वो और जोर जोर से सिसकारी निकालने लगी.

फिर मैंने उसको अपने ऊपर बैठा लिया और चोदने लगा.
वो मेरे लंड पर बहुत जोर जोर से उछल कर चुदवा रही थी.

मैंने उसे काफी देर तक ताबड़तोड़ चोदा और उसकी चूत में वीर्य निकाल दिया.
हम दोनों नंगे ही लिपट कर सो गए.

प्रतीक जब आया, तो उसको देख श्वेता घबरा गई.
मैंने उसे बताया- डरने की कोई बात नहीं है, यह सब जानता है और यह गे है.

अब यह बात श्वेता को भी पता चल गई थी.
तब के बाद जब भी श्वेता दिल्ली आती है, तब मैं उसे चोद लेता हूँ.

मैं भी उसे चोदने के लिए मुंबई जाता रहता हूँ. हम तीनों एक दूसरे से सब बातें शेयर भी कर लेते हैं.

तो दोस्तो, मेल से बताएं कि आपकी मेरी फ्रेंड सिस्टर सेक्स कहानी कैसी लगी.
[email protected]

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